दो बैलों की कथा पाठ का सार
‘दो बैलों की कथा’ मुंशी प्रेमचंद की एक महत्त्वपूर्ण कहानी है। इसमें उन्होंने कृषक समाज एवं पशुओं के भावात्मक संबंधों का वर्णन किया है। उन्होंने बताया है कि स्वतंत्रता सरलता से नहीं मिलती। उसके लिए बार-बार प्रयास करना पड़ता है तथा आपसी भेदभाव त्यागकर एक जुट होकर संघर्ष भी करना पड़ता है। कहानी का सार इस प्रकार है-
लेखक ने बताया है कि जानवरों में सबसे मूर्ख गधे को माना जाता है, क्योंकि वह अत्यंत सीधा और सरल है। वह किसी बात का विरोध नहीं करता। अन्य जानवरों को कभी-न-कभी गुस्सा आ जाता है, किन्तु गधे को कभी गुस्सा करते नहीं देखा। बैल के विषय में लोगों की कुछ और ही धारणा रही है तभी तो उसे ‘बछिया का ताऊ’ कहते हैं। किन्तु यह बात सच नहीं है क्योंकि बैल को गुस्सा भी आता है, वह मारता भी है और अड़ियल रुख भी अपना लेता है। इसलिए उसे लोग गधे से बेहतर समझते हैं। करने वाले थे। झूरी काछी के यहाँ दो बैल थे।
एक का नाम हीरा, दूसरे का नाम मोती था। दोनों सुंदर, स्वस्थ और काम दोनों में पक्की मित्रता थी। दोनों साथ-साथ रहते और काम करते थे। संयोगवश एक बार झूरी ने दोनों बैल अपने साले गया को दे दिए। बैलों को लगा कि उन्हें बेच दिया गया है। अतः गया को बलों को घर तक ले जाने में बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ा। शाम को जब वे गया के घर पहुंचे तो उन्होंने घास को मुँह तक नहीं लगाया। दोनों आपस में मूक भाषा में सलाह कर रात को रस्सियों तुड़वाकर झूरी के घर की ओर चल पड़ते हैं।
झूरी प्रातःकाल उठकर देखता है कि उसके दोनों बैल नाद पर खड़े घास खा रहे हैं। झूरी दौड़कर स्नेहवश दोनों को गले से लगा लेता है। गाँव के सभी लोग बैलों की स्वामिभक्ति पर आश्चर्यचकित थे, किन्तु झरी की पत्नी से यह देखते न बना। वह पति और बैलों को भला-बुरा बताने लगी। अगले दिन से पत्नी ने मजदूर को बैलों के पास सूखी घास डालने को कहा। मजदूर ने वैसा ही किया। दोनों बैलों ने कुछ नहीं खाया।
दूसरे दिन झूरी का साला फिर आया और दोनों बैलों को फिर से से जाकर मोटी तगड़ी रस्सियों में बाँधकर सूखा भूसा डाल दिया और अपने बैलों को अच्छा चारा दिया। अगले दिन दोनों को खेत में जीता गया, लेकिन मार खाने पर भी दोनों ने पैर न उठाने की कसम खा रखी थी। अधिक मार खाने पर दोनों भाग खड़े हुए मोती के दिल में क्रोध की ज्वाला भड़क रही थी, किन्तु हीरा के समझाने पर मोती खड़ा हो गया।
Do Bailon Ki Katha Summary
गया ने दूसरे लोगों की सहायता से उसको पकड़ा और घर से जाकर फिर मोटी रस्सियों में बाँध दिया तथा फिर वही सूखा भूता डाल दिया गया। इस प्रकार दोनों बैल दिन-भर परिश्रम करते और मार खाते और संध्या के समय सुखा भूसा खाते। एक दिन गया की लड़की ने दोनों को खोल दिया और फिर शोर मचा दिया कि बैल भाग गए हैं। गया हड़बड़ाकर बाहर भागा और गाँव वालों की सहायता के लिए चिल्लाया, लेकिन बैल भाग चुके थे। दोनों बैल भागते-भागते अपनी राह भी भूल बैठे।
अब ये भूख से बेहाल थे, लेकिन पास ही मटर का खेत देखकर उसमें चरने लगे और फिर खेलने लगे। कुछ ही देर में उधर एक सॉड आया और उनसे भिड़ गया। दोनों ने जान हथेली पर रखकर बड़े प्रयत्न से उसे जागे-पीछे से रौंदना शुरू किया। दोनों ने बड़े साहस के साथ साँड पर विजय प्राप्त की साँड मार खाकर गिर पड़ा। संघर्ष के बाद दोनों को फिर भूख लग गई थी। सामने मटर का खेत देखकर उसमें पुनः चरने लगे 4 थे किन्तु थोड़ी देर में खेत के रखवालों ने दोनों को पकड़कर कांजीहीस में बंद कर दिया।
कांजीहास में उनसे अच्छा व्यवहार नहीं किया गया। उन्हें रात भर किसी प्रकार का भोजन नहीं दिया गया। वे भूख के मारे मरे जा रहे थे हीरा के मन में विद्रोह भड़क उठा। मोती के समझाने पर भी वह न माना और उसने सामने कच्ची दीवार को तोड़ना शुरू कर दिया। इतने में चौकीदार लालटेन लेकर पशुओं को गिनने आया हीरा को इस प्रकार दीवार तोड़ते देखकर उसने उसको रस्सी से बाँधकर कई डंडे दे मारे चौकीदार के जाने के बाद मोती ने भी साहस बटोरकर दीवार गिरानी आरंभ कर दी।
इस प्रकार 1 काफी संघर्ष के बाद आधी दीवार गिर गई। काफी जानवर भाग निकले। मोती ने फिर हीरा की रस्सी काटनी जारंभ की, लेकिन रस्सी नहीं टूटी। वे दोनों वहीं पड़े रहे। एक सप्ताह तक वे दोनों काजीहास में भूखे मरते रहे। वे बहुत ही कमजोर पड़ गए थे। दोनों बैलों को एक दढ़ियल के हाथों नीलाम कर दिया गया। दद्रियत उन्हें लिए जा रहा था कि दोनों को परिचित राह मिल गई और वे उससे छूटकर सीधे झूरी के घर जा पहुँचे। झूरी धूप सेक रहा था।
बैलों को आता देखकर उसने उन्हें गले से लगा लिया। झूरी और दट्रियल में झगड़ा हो गया। किन्तु बैलों को फिर वही स्नेह मिला। झूरी ने उनकी पीठ सहलाई और मालकिन ने उनका माया चूम लिया। दोनों बैलों को अच्छा चारा दिया गया। वे दोनों अब सुखद अनुभव कर रहे थे।
दो बैलों की कथा प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. कांजीहीस में कैद पशुओं की हाज़िरी क्यों ली जाती होगी ?
उत्तर – कांजीहीस में कैद पशुओं की हाज़िरी इसलिए ली जाती होगी, ताकि उनमें से किसी पशु को कोई चुराकर न ले जाए। कांजीहोस में लाए गए पशुओं की देखभाल की जिम्मेदारी भी कांजीहीस के कर्मचारियों की ही होती थी।
प्रश्न 2. छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया ?
उत्तर – एक सच्चाई है कि दुखी व्यक्ति ही दूसरे दुखी व्यक्ति के दुख को अधिक अनुभव कर सकता है। गया के घर में छोटी बच्ची की विमाता हर समय उसके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार करती थी जब उसने देखा कि गया (छोटी बच्ची का पिता अपने बेलों को अच्छा चारा देता है और झूरी के बैलों को रूखा-सूखा भूसा खाने को देता है और मारता भी है तो उनके प्रति गया के अन्याय को देखकर छोटी बच्ची के मन में प्रेम उमड़ आया था।
प्रश्न 3. कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उमरकर आए हैं ?
उत्तर – प्रस्तुत कहानी में नीति संबंधी अनेक विषयों की…. ओर संकेत किया गया है। उनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं-
(क) अपने स्वामी हे प्रति सदा वफादार रहना चाहिए।
(ख) सच्चा मित्र वही होता है, जो हर सुख-दुःख में साथ रहे।
(ग) आत्मसम्मान की रक्षा के लिए संघर्ष करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है।
(घ) आजादी के लिए बार-बार संघर्ष करना पड़ता है।
(क) एकता में सदा बल होता है।
(च) परोपकार के लिए आत्मबलिदान देना महान कार्य है।
प्रश्न 4. प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति सद अर्थ ‘सूर्य’ का प्रयोग न कर किस नए अर्थ की ओर संकेत किया है ?
उत्तर – प्रस्तुत कहानी में कहानीकार ने गधे को ‘मूर्ख’ न कहकर उसकी अन्य स्वभावगत विशेषताओं का उल्लेख किया है, यथा वह निरापद सहिष्णु होता है। यदि कोई उसको मारता है या दुर्व्यवहार करता है तो वह शांत स्वभाव से उसे सहन कर लेना है। उसका प्रतिरोध नहीं करता, जैसे अन्य पशु करते हैं। उसे कभी किसी बात पर क्रोध नहीं आता। यह सदा उदास व निराश हो दिखाई देता है। यह सुख-दुःख पनि-लाभ सब स्थितियों में समभाव रहता है। अतः इसका सीधा न ही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी हैं, इसीलिए लोग उसे ‘मूर्ख’ की पदवी दे देते हैं।
प्रश्न 5. किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी ?
उत्तर – हीरा और मोती, दोनों सदा एक-दूसरे के सुख-दुःख में साथ देते थे। उदाहरणार्थ- जब गया ने हीरा को अत्यधिक मारा तो मोती ने विद्रोह कर दिया और हल जुआ आदि लेकर भाग गया और उन्हें तोड़ डाला और कहा कि यदि वह तुम पर हाथ उठाएगा तो मैं भी उसे गिरा दूंगा। इसी प्रकार जब दोनों को भारी-भरकम सोड़ का सामना करना पड़ा तो भी दोनों सच्चे मित्रों की भौति उससे संघर्ष किया और उसे हरा दिया।
इसी प्रकार जब मोती मटर के खेत में फँस गया था, हीरा ने वहाँ से न भागकर उसके साथ ही अपने आपको पकड़वा लिया। इसी प्रकार जब कांजीहाँस में होरा रस्सी से क्या हुआ था, किन्तु मोती स्वतंत्र था। वह चाहता तो काही भाग सकता था, किन्तु उसने ऐसा नहीं किया और हीरा के साथ ही खड़ा रहा और काजीहौस के चौकीदार से मार भी खाई। इन सब घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी।
प्रश्न 6. “लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो। हीरा के इस कान के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – मोती को यह देखकर कि गया की छोटी सी बच्ची को गया की पत्नी (बच्ची की माता) खूब भारती व तंग करती है। वह गया की पत्नी को उठाकर पटकने की बात कहता है। यह सुनकर हीरा उपरोक्त शब्द कहता है। हीरा के इन शब्दों से पता चलता है कि प्रेमचंद नारी के प्रति अत्यंत उदार दृष्टिकोण एवं सम्मान की भावना रखते थे। वे मानते थे कि नारी को पीटना व मारना कोई बहादुरी का काम नहीं है। यह हमारी संस्कृति के भी विपरीत है।
Do Bailon Ki Katha Question Answer
प्रश्न 7. किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है?
उत्तर – किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को अत्यंत आत्मीयतापूर्ण व्यक्त किया गया है। झूरी किसान है। उसके पास हीरा और मोती नामक दो बैल हैं। यह अपने बैलों को अत्यधिक प्यार करता है। उनकी देखभाल भी भली-भाँति करता है। उन्हें अपने से दूर करने में उसका जी छोटा होता है, किन्तु उन्हें पुनः प्राप्त करने अत्यंत खुश होता है। उनसे गले लगकर मिलता है जैसे बिछुड़े हुए मित्र मिलते हैं। उसकी पत्नी भी अपनी गलती मानकर बेन्तों के साथ चूम लेती है। अतः स्पष्ट है कि किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को अत्यंत निकटता एवं आमीयता के संबंधों के रूप में व्यक्त किया गया है।
प्रश्न 8. इतना तो हो ही गया कि नौ दस प्राणियों की जान बच गई। ये सब तो आशीर्वाद देंगे।” मोती के इस कवन के आलोक में उसकी विशेषताएं बताइए।
उत्तर – मोती भले ही स्वभाव का विद्रोही लगता हो, किन्तु वास्तव में वह एक सच्चा मित्र और पशु होते हुए भी मानवीय गुणों का प्रतीक है। जहाँ कहीं भी उसे अन्याय या अत्याचार अनुभव होता है, वहीं वह अपना विद्रोह व्यक्त करता है। वह दूसरों के दुःखों को अनुभव करता है और उसे दूर करने के लिए बड़े-से बड़ा त्याग करने के लिए तत्पर रहता है। छोटी बच्ची के प्रति होने वाले अन्याय को देखकर वह कह उठता है कि मालकिन की ही उठाकर पटक दूँ।” इसी प्रकार कांजीहीस में वह सींगों से दीवार को गिराकर अन्य पशुओं की जान बचा देता है। उसे इसके लिए बहुत मार खानी पड़ी और कसाई के हाथों नीलाम होना पड़ा, किन्तु उसे अपने बारे में कोई चिंता नहीं थी। वह चाहता है कि वह अधिक-से-अधिक दूसरों के काम आए ।
प्रश्न 9. आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य बचत है।
(ख) उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के हृदय को मानों भोजन मिल गया।
उत्तर – (क) कहानीकार ने प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से हीरा और मोती के चरित्रों पर प्रकाश डाला है। इन दोनों दलों में कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे वे एक-दूसरे की भावनाओं को तुरंत समझ जाते थे। भले ही वह गया को मजा चखाने की सीड से मिड़ने की बात हो अथवा कांजीहोस में परोपकार करने में आत्मबलिदान की बात हो। इन सब घटनाओं को देखते हुए जा सकता है कि उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी जिससे वे एक-दूसरे की भावनाओं को तुरंत समझ लेते थे। ऐसी शक्ति से अपने आपकी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ समझने वाला मनुष्य वंचित लगता है।
(ख) गया के घर में दोनों बैलों का अत्यधिक अनादर होता था, किन्तु गया की छोटी सी बच्ची बैलों का सम्मान करती थी और घरवालों से चोरी-चोरी उन्हें एक रोटी रोज लाकर खिलाती थी। इतने बड़े-बड़े बैलों का एक-एक रोटी में कुछ नहीं बनता था, किन्तु सम्मान की दृष्टि से बैलों का मन संतुष्ट हो जाता था उनसे भले ही उनकी भूख न मिट सके, किन्तु मन को यह यकीन ही जाता था कि यहाँ भी हमारा सम्मान करने वाला अवश्य है।
प्रश्न 10. गया ने हीरामोती को दोनों बार सूखा भूता खाने के लिए दिया क्योंकि
(क) गया पराये बैलों पर अधिक खर्च नहीं करना चाहता था।
(ख) गरीबी के कारण खली आदि खरीदना उसके बस की बात न थी।
(ग) वह हीरामोती के व्यवहार से बहुत दुःखी था।
(घ) उसे खली आदि सामग्री की जानकारी नवी (सही उत्तर का चुनाव कीजिए। )
उत्तर – (ग) यह हीरामोती के व्यवहार से बहुत दुःखी था।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 11. हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही हीरामोती की इस 1 प्रतिक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें।
उत्तर – निश्चय ही यदि कोई व्यक्ति शोषण या अन्याय के प्रति अपनी आवाज ऊँची करता है तो उसे सदा ही संघर्ष करना पड़ता है और अनेक मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। इतिहास इस बात का गवाह है। होरा और मौतों ने गया के द्वारा किए मग अन्याय तथा शोषण का विरोध किया तो उसने उन्हें भूखा रखा। इसी प्रकार कांजीहीस में कांजीहोस के मुशी और पहरेदार के शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाई तो यहाँ भी उन्हें मार खानी पड़ी। अतः यह स्पष्ट है कि शोषण के विरुद्ध बोलने वाले को सदा ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
प्रश्न 12. क्या आपको लगता है कि यह कहानी आज़ादी की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है ?
उत्तर – दो बैलों की कवा’ शीर्षक कहानी में मुंशी प्रेमचंद ने आजादी की लड़ाई की और भी संकेत किया है। उन्होंने कहा है कि भारतीय अत्यधिक सीधे और सरल हैं इसलिए अंग्रेज सरकार उनका शोषण करती है और उनके जन्मसिद्ध अधिकार स्वतंत्रता से बंचित रखना चाहती थी प्रेमचंद ने दोनों बैलों के चरित्र के माध्यम से यह समझाया है कि यदि हम बैलों की भांति एकता बनाकर संघर्ष करेंगे तो हमें स्वतंत्रता प्राप्त से सकती है। यदि आपस में झगड़ते रहे तो कभी आजाद नहीं हो सकेंगे। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए बार-बार संघर्ष करना पड़ता है। अतः यह कहानी भारत की आजादी की लड़ाई की ओर संकेत करने वाली कम्पनी है।
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प्रश्न 1. ‘दो बैलों की कथा’ नामक कहानी का उद्देश्य लिखिए।
उत्तर – ‘दो बैलों की कथा’ शीर्षक कहानी एक सोद्देश्य रचना है। इस कहानी में लेखक ने कृषक समाज एवं पशुओं के भावात्मक संबंधों का वर्णन किया है। कहानी में बताया गया है कि स्वतंत्रता सरलता से प्राप्त नहीं हो सकती, इसलिए बार-बार प्रयास किया जाता है। स्वामी के प्रति वफादारी निभाने का वर्णन करना कहानी का प्रमुख लक्ष्य है। कहानीकार का सच्ची मित्रता पर प्रकाश डालना भी एक उद्देश्य है। एक सच्चा मित्र ही सुख-दुःख में साथ देता है। आत्म रक्षा के लिए सदैव संघर्ष करना चाहिए। ‘एकता में सदा बल है’ इस सर्वविदित सत्य को दर्शाना भी कहानी का मूल उद्देश्य है।
प्रश्न 2. ‘दो बैलों की कथा कहानी के अनुसार बताइए कि आज संसार में किन लोगों की दुर्दशा हो रही है और क्यों ?
उत्तर – ‘दो बैलों की कथा”‘ नामक कहानी में बताया गया है कि आज सीधे-सादे व साधारण लोगों की दुर्दशा हो रही है। इस संसार में सरलता, सीधापन, सहनशीलता आदि गुणों का कोई महत्त्व नहीं रह गया है। सरलता को मूर्खता और सहनशीलता को डरपोक होना समझा जाता है। आज इन्हीं गुणों के कारण व्यक्ति का शोषण होता है। आज हर सीधे-सादे व्यक्ति का शोषण किया जाता है। आज शक्तिशाली व चालाक व्यक्ति को सम्मान दिया जाता है। उससे सभी लोग डरते । प्रस्तुत कहानी में प्रश्न उठाया है कि अफ्रीका व अमेरिका में भारतीयों का सम्मान क्यों नहीं है स्वयं ही इसका उत्तर देते उसने कहा है, क्योंकि वे सीधे-सादे और परिश्रमी हैं। ये चोट खाकर भी सब कुछ सहन कर जाते हैं। इसके विपरीत जापान ने युद्ध में अपनी शक्ति का प्रदर्शन करके दुनिया में अपना सम्मान अर्जित कर लिया है।
प्रश्न 3. ‘हीरा और मोती सच्चे मित्रों के आदर्श हैं’ – कैसे ?
उत्तर – सच्चे मित्र एक-दूसरे पर पूरा विश्वास करते हैं। वे एक-दूसरे के लिए त्याग भी करते हैं और एक साथ खाते-पीते भी हैं। ये सभी गुण हीरा और मोती दोनों बैलों में भी देखे जा सकते हैं। हीरा और मोती एक-दूसरे से प्यार करते हैं। एक-दूसरे को चाट-चूमकर और सूंघकर अपने प्यार का प्रदर्शन करते हैं। वे आपस में कील-क्रीड़ा, शरारत आदि भी करते हैं। हीरा-मोती गहरे मित्र हैं। वे इकट्ठे खाते-पीते, खेलते व एक-दूसरे से सींग भिड़ाते हैं। वे एक-दूसरे को संकट से बचाने के लिए अपनी जान खतरे में डाल देते हैं। इससे पता चलता है कि हीरा-मोती बैल होते हुए भी सच्चे मित्रों के आदर्श हैं।
प्रश्न 4. प्रस्तुत कहानी के आधार पर मोती के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
उत्तर – कहानी में मोती एक बैल है। वह कुछ गर्म स्वभाव वाला है वह स्वामिभक्त है। वह अन्याय करने वाले का विरोध करता है। झूरी का साला गया जब उनके प्रति अन्याय एवं अत्याचार करता है तो मोती उसका हल जुआ लेकर भाग जाता है। मोती कहता भी है कि “मुझे मारेगा तो उठाकर पटक दूंगा।” जब गया उसका अपमान करता है और मारता है तो वह होरा से कहता है कि “एकाध को सींगों पर उठाकर फेंक दूंगा।” इसी प्रकार वह दढ़ियल कसाई को भी सींग दिखाकर गाँव से भगा देता है। किन्तु वह दुखियों के प्रति दया का भाव भी रखता है। वह गया की बेटी तथा कांजीहौस में फँसे हुए जानवरों के प्रति दया दिखाता है।
प्रश्न 5. ‘हीरा एक धैर्यशील एवं अहिंसक प्राणी है’ पठित कहानी के आधार पर सिद्ध कीजिए।
उत्तर – कहानी को पढ़कर लगता है कि हीरा गांधीवादी विचारधारा का समर्थक है। वह मुसीबत के समय धैर्य बनाए रखता है। उसे पता है कि धैर्य खो देने से काम बिगड़ जाता है। वह कदम-कदम पर अपने मित्र मोती को भी धैर्य से काम लेने का परामर्श देता है। जब गया बैलों को गाड़ी में जोत कर ले जा रहा था तो मोती ने दो बार गया को गाड़ी सहित सड़क की खाई में गिराना चाहा, किन्तु हीरा ने उसे संभाल लिया। इसी प्रकार गया जब बैलों के प्रति अन्याय करता है, और उन्हें सूखा भूसा देता है तो भी मोती को गुस्सा आ जाता है और वह उससे बदला लेने की ठान लेता है। वह उसे मार गिराना चाहता है।
उस समय हीरा ने ही उसे रोक लिया था, गया की पत्नी की भी मोती सबक सिखाना चाहता था, किन्तु हीरा ने कहा कि स्त्री जाति पर हाथ उठाना या सींग चलाना मना है, यह क्यों भूल जाता है। हीरा के धैर्य की परीक्षा तो उस समय होती है जब कांजीहोस की दीवार तोड़ता हुआ पकड़ा जाता है। उसे मोटी रस्सी में बाँध दिया जाता है। वह कहता है कि जोर तो मारता ही जाऊँगा चाहे कितने ही बंधन क्यों न पड़ जाएँ? इन सब तथ्यों से पता चलता है कि हीरा एक धैर्यशील बैल था।
प्रश्न 6. सांड के साथ बैलों की टक्कर की घटना से हमें क्या उपदेश मिलता है ?
अथवा
सॉड को मार गिराने की घटना के माध्यम से लेखक क्या उपदेश देना चाहता है ?
उत्तर – प्रस्तुत कहानी में बैलों द्वारा सोड को हरा देने की घटना के पीछे एक महान संदेश छिपा हुआ है। इस घटना के माध्यम से लेखक ने संगठित होकर शत्रु का मुकाबला करने की प्रेरणा दी है। उसने बताया है जिस प्रकार हीरा और मोती दो बैल शक्तिशाली सांड को मार भगाते हैं, उसी प्रकार भारतीय भी आपसी मतभेद को त्यागकर एकजुट होकर अंग्रेजों को देश से बाहर कर सकते हैं। अतः लेखक ने एकता में बल है नीति वाक्य को भी इस घटना के माध्यम से सिद्ध करने का सफल प्रयास किया है।