नादान दोस्त पाठ का सार
नादान दोस्त’ मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित एक कहानी है। इस कहानी में भाई-बहन की बाल-सुलभ नादानी का वर्णन किया गया है। केशव और श्यामा भाई-बहन थे। उनके घर की छत की दीवार की कंगनी (कार्निस) पर चिड़िया: ने अड्डे दिए थे। दोनों भाई-बहन प्रतिदिन प्रातः आँखें मलते हुए कार्निस के सामने पहुँच जाते और चिड़ा एवं चिड़िया दोनों को देखते रहते।
उनको देखने में वे इस तरह खो जाते थे कि उन्हें अपने नाश्ते की भी सुध न रहती थी वे अकसर सोचते थे कि अंडे कितने होंगे? ये कितने बड़े होंगे तथा उनमें से बच्चे कब निकलेंगे? इन प्रश्नों के उत्तर जानने की इच्छा इन बच्चों में हर समय बनी रहती थी, पर इनके अम्मा-बाबू के पास उनके इन प्रश्नों का जवाब देने का समय नहीं था। श्यामा छोटी थी। अतः अपने भाई से प्रश्न पूछ लिया करती थी और केशव बड़ा होने के कारण कोई-न-कोई जवाब अवश्य देता था।
दोनों बच्चे चिड़िया के बच्चों के खाने-पीने के विषय में परेशान थे। उनकी जिज्ञासा भी बढ़ती ही जा रही थी। केशव तथा श्यामा दोनों यह सोचकर परेशान थे कि चिड़िया के बच्चे भूख एवं प्यास से मर जाएँगे। दोनों ने सोचा कि चिड़िया के घोंसले के ऊपर छाया करके कुछ चावल के दाने तथा एक कटोरी पानी रख दिया जाए तो चिड़िया को परेशान नहीं होना पड़ेगा।
इसके लिए केशव ने तेल की कटोरी साफ करके उसमें पानी भर लिया तथा श्यामा ने चुपके से कुछ चावल निकाले । उन दोनों बच्चों ने घोंसले पर छाया करने के लिए कड़ा फेंकने वाली बाल्टी का इंतजाम किया। गर्मी के दिन थे। दोपहर में अम्मा जी ने दोनों को सुलाया और दरवाजा बंद करके स्वयं भी सो गई। लेकिन चिड़िया के विषय में चिंता के कारण श्यामा और केशव की आँखों में नींद न थी। वे चिटकनी खोलकर चुपचाप बाहर आ गए। केशव नहाने की चौकी तथा स्टूल ले आया। नहाने की चौकी स्टूल के नीचे रखकर केशव उस पर चढ़कर कार्निस तक पहुँचना चाहता था।
श्यामा स्टूल को पकड़कर खड़ी थी। स्टूल के हिलने पर केशव को परेशानी होती थी, पर वह किसी तरह कार्निस तक पहुँच गया। कार्निस पर हाथ रखते ही चिड़ा और चिड़िया दोनों उड़ गए। केशव ने फटे-पुराने कपड़ों की गद्दी बनाकर अंडे उसके ऊपर रख दिए। घोंसले के ऊपर बाल्टी को लकड़ी से टिकाकर छाया कर दी। अंडों के पास ही चावल तथा पानी की कटोरी रखकर उतर आया। श्यामा भी अंडों को देखना चाहती थी, परंतु गिरने के डर से केशव ने उसे स्टूल पर चढ़ने नहीं दिया, जिससे कि वह अंडों को देख सके। इस कार्य को पूरा करने के बाद दोनों चुपचाप कमरे में आकर लेट गए। बाहर लू चल रही थी। वे दोनों सो गए।
चार बजे सायंकाल जब दोनों की नींद खुली तो वे कार्निस के पास गए। दोनों ने देखा कि अंडे नीचे गिरकर टूट गए हैं। उनमें से सफेद रंग का पानी निकल आया है। इतने में अम्मा जी ने आकर पूछा- “वहीं धूप में क्या कर रहे हो?” टूटे अंडों को देखकर अम्मा जी ने कहा- ‘जरूर तुमने इन्हें छुआ होगा। श्यामा ने सोचा भइया से अंडे रखते नहीं बना। इसलिए अहे गिरकर टूट गए। भइया को इस गलती की सजा मिलनी ही चाहिए।
इसलिए श्यामा ने अम्मा से बता दिया कि “भइया ने अंडों को छेड़ा था।” अम्मा ने बताया कि छूने से चिड़िया के अंडे गंदे हो जाते हैं और फिर चिड़िया उन्हें नहीं सेती अब अंडों के टूटने का पाप केशव के सिर पर पड़ेगा। केशव ने अपनी सफाई देते हुए अम्मा को बताया कि उसने तो अंडों को केवल गद्दी पर रखा था। यह सुनकर अम्मा जी को हंसी आ गई। मगर केशव कई दिनों तक अपनी गलती पर अफसोस कर रोता रहा।
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प्रश्न 1. अंडों के बारे में केशव और श्यामा के मन में किस तरह के सवाल उठते थे? वे आपस ही में सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली क्यों दे दिया करते थे?
उत्तर- केशव और श्यामा के मन में अंडों को देखकर तरह-तरह के सवाल इसलिए उठ रहे थे, क्योंकि ये दोनों जानना चाहते थे कि घोंसले में कितने बड़े अंडे होंगे? ये किस रंग के होंगे? कितने होंगे क्या खाते हगि? बच्चे कैसे निकलेंगे? उनके पर (पंख) कैसे निकलेंगे? आदि वे दोनों इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानने के इच्छुक थे उनके माता-पिता इन प्रश्नों के जवाब दे सकते थे परन्तु माँ घर के कार्य में और पिता जी पढ़ने-लिखने में व्यस्त रहते थे। जब उन्हें अपने प्रश्नों के जवाब न मिलते तो वे आपस में ही सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली दे दिया करते थे।
प्रश्न 2. केशव ने श्यामा से चिथड़े, टोकरी और दाना-पानी मंगाकर कार्निस पर क्यों रखे थे?
उत्तर- केशव ने श्यामा से चिथड़े, टोकरी और दाना-पानी मंगाकर कार्निस पर इसलिए रखे थे कि चिड़िया के बच्चों को सोने, खाने तथा पानी के लिए परेशान न होना पड़े। क्योंकि चिड़िया अकेले इतना दाना, पानी नहीं ला सकती है जिससे उसके बच्चों का पेट भरे।
प्रश्न 3. केशव और श्यामा ने चिड़िया के अंडों की रक्षा की या नादानी ?
उत्तर- केशव और श्यामा ने अपनी बाल-सुलभ सोच के अनुसार चिड़िया के अंडों की रक्षा की। परंतु उन्हें इस बात का ज्ञान नहीं था कि हाथ लग जाने पर चिड़िया अपने अंडे को नहीं सेती है। अतः उनके द्वारा किया गया यह कार्य उनकी नादानी को दर्शाता है।
कहानी से आगे
प्रश्न 1. केशव और श्यामा ने अंडों के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए। यदि उस जगह तुम होते तो क्या अनुमान लगाते और क्या करते?
उत्तर- केशव और श्यामा ने अंडों के बारे में अनुमान लगाया कि अब जरूर उन अंडों से बच्चे निकल आए होंगे। चिड़िया इतना दाना कहाँ से लाएगी। गरीब बच्चे इस प्रकार से तो भूख से मर जाएँगे। यदि केशन और श्यामा की जगह पर में होता तो मैं भी देखता कि बच्चे निकल आए हैं या नहीं? मैं उन अंडों को छूता नहीं अंडों से बच्चे निकलने का इंतजार करता अंडों से बच्चों के निकलने के बाद ही वहाँ पर चावल तथा पानी की कटोरी रखता ताकि बच्चे भूखे-प्यासे न रहें।
प्रश्न 2. माँ के सोते ही केशब और स्वामा दोपहर में बाहर क्यों निकल आए? माँ के पूछने पर भी दोनों में से किसी ने किवाड़ खोलकर दोपहर में बाहर निकलने का कारण क्यों नहीं बताया ?
उत्तर-सी के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में बाहर इसलिए आ गए कि यहीं ऐसा समय था, जब से बाहर आकर चुपचाप चिड़िया के अंडों को देख सकते थे। यदि माँ उन्हें देख लेती तो अंडों को हाथ न लगाने देती। माँ के पूछने पर भी दोनों ने बाहर निकलने का कारण इसलिए नहीं बताया क्योंकि केशव तथा श्यामा किसी की भी पिटाई नहीं चाहते थे क्योंकि दोनों ही इस कसूर में जिम्मेदार थे।
प्रश्न 3. प्रेमचंद ने इस कहानी का नाम ‘नादान दोस्त’ रखा। तुम इसे क्या शीर्षक देना चाहोगे?
उत्तर-इसका अन्य शीर्षक ‘बच्चों की नादानी’, ‘बच्चों की नासमझी’ एवं ‘रक्षा में हत्या’ आदि हो सकता है।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. इस पाठ में गरमी के दिनों की चर्चा है। अगर सरदी या बरसात के दिन होते तो क्या-क्या होता? अनुमान करो और अपने साथियों को सुनाओ।
उत्तर- कार्निस पर चिड़िया के अड्डे यदि बरसात के दिनों में होते तो इन अंडों को पानी से भीगने तथा बाहर गिरने से बचाना होता। यदि सरदी के दिन होते तो चिड़िया और अंडों को सर्दी से, ओस से, पाले से बचाना पड़ता तथा उनके लिए भोजन और पानी का इंतजाम करना होता।
प्रश्न 2. पाठ पढ़कर मालूम करो कि दोनों चिड़ियाँ वहाँ फिर क्यों न दिखाई दीं? वे कहाँ गई होंगी? इस पर अपने दोस्तों के साथ मिलकर बातचीत करो।
उत्तर- दोनों चिड़ियाँ वहाँ इसलिए दिखाई नहीं दीं क्योंकि उनके अंडे यहाँ सुरक्षित नहीं थे। उन्हें डर था कि यदि वे यहाँ रहीं तो अगली बार भी उनके साथ ऐसा ही हो सकता है। दोनों चिड़ियाँ किसी अन्य जगह पर चली गई होंगी जहाँ उन्हें बच्चों से कोई खतरा न हो अन्यथा वे जंगल में चली गई होंगी।
प्रश्न 3. केशव और श्यामा चिड़िया के अंडों को लेकर बहुत उत्सुक थे क्या तुम्हें भी किसी नयी चीज़ या बात को लेकर कौतूहल महसूस हुआ है? ऐसे किसी अनुभव का वर्णन करो और बताओ कि ऐसे में तुम्हारे मन में क्या-क्या सवाल उठे ?
उत्तर- इस प्रश्न का उत्तर छात्र स्वयं लिखें।