टिकट अलबम कहानी का सार
टिकट-अलबम कहानी के लेखक ‘श्री सुंदरा रामस्वामी हैं। इसमें एक बालक की कहानी का वर्णन किया गया है, जिसे अपनी गलती के कारण फूट-फूटकर रोना पड़ता है। राजप्पा और नागराजन सहपाठी थे। राजप्पा के पास टिकटों का एक सुंदर अलबम था उस अलबम के कारण सभी छात्र उसकी प्रशंसा करते थे नागराजन के मामा जी सिंगापुर रहते थे। उन्होंने नागराजन के लिए एक अलबम भिजवाया था तब से सभी लड़के पहली घंटी बजने तक नागराजन को घेरकर उसका अलबम देखते रहते थे। अलबम देखने के लिए लड़के कई टोलियों में नागराजन के घर भी हो आए थे। वह सभी लड़कों को अलबम दिखाता था, परंतु हाथ नहीं लगाने देता था। उसकी कक्षा की लड़कियाँ भी उसका अलबम देख चुकी थीं।
जब से नागराजन का अलबम आया था, तब से राजप्पा के अलबम की कोई नहीं देखता था उसकी ज्ञान कम हो गई थी। राजप्पा ने मधुमक्खियों की तरह मेहनत करके एक-एक टिकट इकट्ठी की थी। प्रातःकाल ही वह टिकट जमा करने वाले लड़कों के घर निकल जाता था और अपने फालतू टिकट देकर उन लड़कों से अपनी पसंद का टिकट ले लेता था। एक बार तो कनाडा का टिकट लेने के लिए वह चार मील पैदल भागा था उसका अलबम बड़ा था। सरपंच का लड़का उस अलबम को पच्चीस रुपए में खरीदना चाहता था परंतु राजप्पा ने देने से इंकार कर दिया। इस पर उसने राजप्पा को घमंडी कहा। राजप्पा ने उसके घर की बच्ची को तीस रुपए में खरीदना चाहा तो सारे लड़के हंस पड़े।
नागराजन के अलबम के कारण अब राजप्पा के अलबम की कोई बात नहीं करता था। राजप्या कभी-कभी नागराजन के अलबम को नीची नज़रों से देख लेता था। नागराजन का अलबम सचमुच बड़ा प्यारा था। यद्यपि राजप्पा के अलबम में टिकटें ज्यादा थीं, पर सभी छात्र नागराजन के अलबम को ही देखते थे। अलबम देखने वाले लड़के तरह-तरह की बातें करके राजप्पा के अलबम को बुरा बताते थे। इसलिए राजप्पा मन-ही-मन कुढ़ने लगा। उसे अपने ही अलबम से नफरत होने लगी। एक दिन शाम को उसने एक योजना बनाई। योजना के अनुसार वह नागराजन के घर गया। उसने सोचा कि अपने फालतू टिकटों के बदले वह नागराजन से अच्छी टिकटों को ले लेगा, परंतु जब वह नागराजन के घर पहुंचा तो वह घर पर नहीं था। वह सीधे नागराजन के कमरे में चला गया। वहीं मेज़ पर रखी चाबी से मेज़ की दराज खोलकर उसका अलबम चुरा लिया। वह अलबम कमीज़ के नीचे खोंसकर अपने घर वापस आ गया।
राजप्पा ने घर आकर नागराजन के अलबम को अलमारी के पीछे छिपा दिया। चोरी के कारण वह डर भी रहा था। रात को उसने खाना नहीं खाया। अगले दिन राजप्पा के पिता अपने ऑफिस चले गए, वह घर पर ही था। तभी दरवाजे की सॉकल खटकी। राजप्पा ने समझा कि पुलिस आ गई तलाशी लेने पर पकड़े जाने के डर से उसने अलबम को अंगीठी में डाल दिया। अलबम जल उठा। वह बाथरूम में चला गया और मम्मी के बुलाने पर तौलिया लपेट कर बाहर आया।
राजप्पा ने नागराजन को सामने देखकर अलबम के बारे में बात की। रोते हुए नागराजन से उसने कहा तू मेरा अलबम ले जा नागराजन को यकीन नहीं आया। राजप्पा अपनी बात दोहराता रहा। जब नागराजन अलबम लेकर जाने लगा तो राजप्पा ने कहा, ‘मैं आज रात भर इसे और देखना चाहता हूँ। वह नागराजन से अलबम लेकर आया और उसे (अलबम को सीने से लगाकर फूट-फूट कर रोने लगा।
अभ्यास के सभी प्रश्नों के उत्तर
प्रश्न 1. नागराजन ने अलबम के मुख्य पृष्ठ पर क्या लिखा और क्यों? इसका असर कक्षा के दूसरे लड़के-लड़कियों पर क्या हुआ ?
उत्तर- नागराजन ने अलबम के मुख्य पृष्ठ पर ए० एम० नागराजन’ लिखा था और यह इसलिए लिखा था, ताकि उसे कोई चुराने की कोशिश न करे। वह अलबम हमेशा के लिए नागराजन के पास रहे। कक्षा के दूसरे लड़के-लड़कियों पर इसका असर यह हुआ कि उन्होंने इसे अपनी अलबम और कॉपी में उतार लिया।
प्रश्न 2. नागराजन के अलबम के हिट हो जाने के बाद राजप्पा के मन की क्या दशा हुई ?
उत्तर- नागराजन का अलबम हिट हो जाने के बाद राजप्पा मन-ही-मन कुढ़ने लगा और अपने फालतू टिकटों के बदले नागराजन से कुछ अच्छे टिकट लेने की सोचने लगा ताकि उसका अलबम और अच्छा हो जाए। इस उद्देश्य से वह नागराजन के घर गया परंतु उसके घर न होने के कारण मौका देखकर उसका अलबम ही चुरा लिया।
प्रश्न 3. अलबम चुराते समय राजप्पा किस मानसिक स्थिति से गुजर रहा था ?
उत्तर- अलबम चुराते समय राजप्पा का दिल तेज़ी से धड़क रहा था उस समय उसके दिमाग में केवल अलबम चुराने की बात थी। इसलिए वह अलबम अपनी कमीज़ में खासकर तुरंत चला गया।
प्रश्न 4. राजप्पा ने नागराजन का टिकट अलबम अंगीठी में क्यों डाल दिया ?
उत्तर- अपने घर के दरवाजे की सकल की आवाज़ से राजपा ने समझा कि पुलिस आ गई है। तलाशी लेने पर अलबम पकड़ा भी जा सकता है। इसलिए उसने नागराजन का टिकट अलबम अंगीठी में डाल दिया।
प्रश्न 5. लेखक ने राजप्पा के टिकट इकट्ठा करने की तुलना मधुमक्खी से क्यों की ?
उत्तर-लेखक ने राजप्पा के टिकट इकट्ठा करने की तुलना मधुमक्खी से इसलिए की है क्योंकि जिस प्रकार मधुमक्खियाँ घूम-घूम कर फूलों से मकरंद चूसती हैं और बड़े परिश्रम से छत्ता बनाकर उसमें शब्द बनाती हैं, इसी तरह राजप्पा ने भी एक-एक दुर्लभ टिकट बड़ी मुश्किल से एकत्र करके अलबम बनाया था।
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कहानी से आगे
प्रश्न 1. टिकटों की तरह ही बच्चे और बड़े दूसरी चीजें भी जमा करते हैं। सिक्के उनमें से एक हैं। तुम कुछ अन्य चीज़ों के बारे में सोचो जिन्हें जमा किया जा सकता है। उनके नाम लिखो।
उत्तर- टिकटों की तरह कुछ बच्चे छोटी-बड़ी, रंग-बिरंगी काँच की गोलियाँ इकट्ठी करते हैं तो कुछ बच्चे कहानियों की पुस्तकें और कॉमिक्स इकट्ठे करते हैं। कुछ बच्चे भिन्न-भिन्न प्रकार के खिलौने इकट्ठे करके अपना शौक पूरा करते हैं।
प्रश्न 2. टिकट- अलबम का शौक रखने के राजप्पा और नागराजन के तरीके में क्या फर्क है? तुम अपने शौक के लिए कौन-सा तरीका अपनाओगे ?
उत्तर- टिकट- अलबम का शौक रखने के राजप्पा और नागराजन के तरीके में यह फर्क है कि नागराजन को वह अलबम अपने मामा से मिला है, परंतु राजप्पा ने अपने अलबम को मधुमक्खी की तरह परिश्रम करके इकट्ठा किया है। मैं भी अपने शौक को पूरा करने के लिए राजप्पा के समान परिश्रम करके एक-एक दुर्लभ टिकट इकट्ठा करना चाहूँगा। मैं किसी की अलबम को देखकर ईर्ष्या नहीं करूँगा और न ही चोरी करने की बात सोचूंगा।
प्रश्न 3. इकट्ठा किए हुए टिकटों का अलग-अलग तरह से वर्गीकरण किया जा सकता है, जैसे देश के आधार पर ऐसे और आधार सोचकर लिखो।
उत्तर- इकट्ठा किए गए टिकटों को उनके मूल्य के आधार पर, उनके आकार के आधार पर तथा उनकी ऐतिहासिक तिथियों के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
प्रश्न 4. कई लोग चीजें इकट्ठी करते हैं और ‘गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में अपना नाम दर्ज करवाते हैं। इसके पीछे उनकी क्या प्रेरणा होती होगी? सोचो और अपने दोस्तों से इस पर बातचीत करो।
उत्तर- कई लोगों की गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में अपना नाम दर्ज करवाने की प्रेरणा प्रसिद्धि पाने की रहती होगी। इससे उनका, उनके माता-पिता तथा देश का नाम रोशन होता है। इससे उनका शौक पूरा होता होगा और वे उस क्षेत्र में दूसरों से बेहतर रहते होंगे।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. राजप्पा अलबम के जलाए जाने की बात नागराजन को क्यों नहीं कह पाता है? अगर वह कह देता तो क्या कहानी के अंत पर कुछ फर्क पड़ता ? कैसे ?
उत्तर – राजप्पा अलबम के जलाए जाने की बात यदि नागराजन से कहता तो नागराजन उसे ईर्ष्यालु और चोर समझता। अपना अलबम देकर राजप्पा, नागराजन की नज़रों में ऊँचा बन जाता है। जबकि अलबम के जलाए जाने की बात बताकर वह नागराजन की नज़रों में हीन बन जाता नागराजन के मन में राजपा के लिए कोई सम्मान न रह जाता और वह उससे घृणा करने लगता। इससे कहानी के अन्त पर बहुत फर्क पड़ता।
प्रश्न 2. कक्षा के बाकी विद्यार्थी स्वयं अलबम क्यों नहीं बनाते थे? वे राजपा और नागराजन के अलबम के दर्शक मात्र क्यों रह जाते हैं ? अपने शिक्षक को बताओ।
उत्तर- प्रत्येक छात्र की अपनी व्यक्तिगत रुचियाँ तथा शौक होते हैं। उनकी कक्षा के बाकी विद्यार्थियों के शौक कुछ और ही रहे होंगे। अलबम बनाने के लिए परिश्रम तथा समय भी लगता है। इसलिए अन्य छात्र मात्र दर्शक बनकर रह जाते हैं।