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अम्बरीष श्रीवास्तव जीवन परिचय
साहित्यकार, कवि आर्कटेक्चरल इंजीनियर अम्बरीष श्रीवास्तव का जन्म 30 जून, 1965 ई. को उत्तर प्रदेश के सीतापुर में हुआ था। वे हिन्दी साहित्य’ के एक सुप्रसिद्ध कवि हैं। इनकी विभिन्न कवितायें अलग-अलग वेबसाइट पर प्रकाशित हैं। इनका नाम राष्ट्रीय कवि संगम निर्देशिका में सम्मिलित है, जो कि भारतीय कवियों की राष्ट्रीय सूची है।
पुरस्कार एवं सम्मान
ई. श्रीवास्तव को सन् 2007 में आल इंडिया नेशनल यूनिटी कांफ्रेस नई दिल्ली द्वारा आर्कीटेक्चरल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओं, ● विशेष उपलब्धियों और योगदान के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार इंदिरा गाँधी प्रियदर्शिनी अवार्ड’ प्रदान कर सम्मानित किया गया था। इंदिरा गाँधी ● प्रियदर्शिनी अवार्ड पुरुषों और महिलाओं को उनके विभिन्न क्षेत्रों के व्यवसायों में उनकी उत्कृष्ट सेवाओं, विशेष उपलब्धियों और योगदान के लिए प्रदान किया जाता है। इस अवार्ड का प्रयोजन स्थान और देश में छिपी प्रतिभा को लक्ष्य करके उसकी पहचान करना है। वह पुरस्कार ● समारोह में उपस्थित नहीं हो सके थे क्योंकि वह एक सड़क दुर्घटना में 11 अक्टूबर, 2007 में घायल हो गए थे, उन्होंने इस पुरस्कार को सीतापुर
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डाकघर के माध्यम से अपने घर पर प्राप्त किया था। इसके अतिरिक्त वर्ष 2007 में ही इन्हें वह इंजीनियरिंग और आर्कीटेक्चर के क्षेत्र में भारतीय मानवाधिकार एसोसिएशन द्वारा अभियंत्रण श्री से तथा 2009 में हिन्दी कविता के क्षेत्र में हिन्दी साहित्य परिषद द्वारा ‘सरस्वती-रत्न’ सम्मान प्रदान कर अलंकृत किया गया, निर्माण श्रमिकों के कल्याण के लिए वह सक्रिय रूप से एसीसी, और अन्य कंपनियों के साथ संबद्ध हैं, साथ-साथ उन्होंने निर्माण तकनीक पर कई हिन्दी लेख तथा किसानों, निर्माण श्रमिकों, सैनिकों, माताओं, बच्चों, आदि पर हिन्दी कविताओं की रचना की है।
हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध कवि अम्बरीष श्रीवास्तव कई अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय व्यावसायिक संस्थानों, यथा अमेरिकन सोसायटी ऑफ सिविल इंजीनियर्स (ASCE), आर्किटेक्चरल इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट (AEI), स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट (SBI), भारतीय सड़क कांग्रेस (IRC), भारतीय भवन कांग्रेस (IBC), इंडियन सोसायटी फॉर टेक्निकल एजूकेशन (ISTE), भारतीय पुल इंजीनियर्स संस्थान (IIBE), भारत का क्वालिटी सर्किल फोरम (QCFI) इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बिल्डिंग डिजाइनर्स एशोसियेशन (IIBD)(अध्यक्ष के रूप में), आई आई टी कानपुर के राष्ट्रीय भूकंप अभियंत्रण सूचना केन्द्र (NICEE) (व्यावहारिक रचनात्मक कार्यों को साझा करने के सम्बन्ध में) आदि के सदस्य हैं।
इंजीनियर व कवि अम्बरीष श्रीवास्तव के भवन निर्माण ( वास्तु शिक्षा) संबंधी आलेख प्रकाशित हुए थे। उनकी अम्बरीष श्रीवास्तव की अधोरचित रचना ‘दिल से कर लो मेल’ राष्ट्रीय व सामाजिक एकता तथा परस्पर सद्भाव को समर्पित है।
अम्बरीष श्रीवास्तव द्वारा लिखित कुछ पंक्तियाँ
एक संग होती रहे पूजा और अजान ।
सबके दिल में ईश हैं वे ही सबल सुजान ।।निर्गुण ब्रह्म वही यहाँ वही खुदा अल्लाह ।
वही जगत परमात्मा उनसे सभी प्रवाह ||झगड़े आखिर क्यों हुए क्यों होते ये खेल ।
मंदिर-मस्जिद ना करो दिल से कर लो मेल ।।पंथ धर्म मजहब सभी लगें बड़े अनमोल ।
इनसे ऊपर है वतन मन की आँखें खोल ।।बाँट हमें और राज कर हमें नहीं मंजूर ।
सच ये हमने पा लिया समझे मेरे हुजूर ।।बहुतेरी साजिश हुई नहीं गलेगी दाल ।
एक रहेगा देश ये नहीं चलेगी चाल ।।
अम्बरीष श्रीवास्तव ने सभी के सहयोग से 60 वर्ष की उम्र से अधिक कई बुजुर्ग व्यक्तियों के अच्छे स्वास्थ्य व दीर्घ जीवन की कामना करते हुए एक पूजा का आयोजन किया था तथा उन्हें सम्मानित किया था। हिन्दी अखबार ‘दैनिक जागरण’ के मोहन वर्मा ने श्रीवास्तवजी की इस सेवा पर एक विशेष रिपोर्ट लिखी थी। वह हिंदी सभा, हिंदी साहित्य, परिषद, ‘संस्कार भारती’ और साहित्य उत्थान परिषद’ के आजीवन सदस्य हैं। उनकी प्रकाशित पुस्तक ‘जो सरहद पे जाये’ बहुत प्रसिद्ध हुआ।