भारत माता पाठ का सार
भारत माता’ नामक पाठ में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने बताया है कि भारत देश में विभिन्नता होते हुए भी एकता झलकती है।
‘भारत माता की जय का अर्थ है-भारत देश के सभी लोगों की जय।
लेखक अकसर देश के कोनों कोनों में आयोजित सभाओं में भाग लेता था। जब वह किसी आयोजित सभा को संबोधित करता तो विषय भारत देश ही होता था। लेखक भारत देश की महानता संबंधी विचार अधिकतर ग्रामीण लोगों को सुनाता था। लेखक के अनुसार शहरी लोगों का दृष्टिकोण विस्तृत था। ये अपने-आपको जरूरत से ज्यादा समझदार मानते थे।
लेखक अपने भाषणों में स्वतंत्रता का महत्त्व बताता और अपनी यात्राओं का वर्णन करता। वह जनता को बताता कि वह जहाँ भी गया, सभी जगह लोगों की तकलीफ एक-सी थी। यानि सभी किसान गरीबी, शोषण, लगान, सूद, पुलिस के जुल्मों आदि से घिरे हुए थे। ये सभी परेशानियाँ विदेशी सरकार की देन हैं। हम सभी विदेशी सरकार के विरोध द्वारा इन परेशानियों से मुक्त हो सकते हैं। लेखक अपने भाषणों द्वारा स्पेन, चीन, यूरोप आदि देशों में होने वाली खींचातानी के बारे में भी बताता।
सोवियत यूनियन के अचरज भरे परिवर्तनों और अमेरिका की तरक्की के कारणों की जानकारी देता। लेखक का कथन है कि जनता उसकी ये सब बातें इसलिए आसानी से समझ जाती थी क्योंकि अधिकतर लोगों को पुराने महाकाव्यों और पुराणों की कथा-कहानियों का ज्ञान था। उन्होंने भारत देश में स्थित विभिन्न तीथों की यात्रा की हुई थी तथा कुछ लोगों ने विश्व-युद्ध तथा जन्य युद्धों के सिलसिले में विदेशों में नौकरियों की थीं। सन 1930 के बाद जो आर्थिक मंदी पैदा हुई थी, उसकी वजह से दूसरे देशों के बारे में लेखक द्वारा दिए गए उदाहरण वे आसानी से समझ जाते थे।
कभी ऐसा भी होता कि लेखक जब किसी सभा को संबोधित करता तो उसका स्वागत ‘भारत माता की जय के नारे से होता था। कई बार लेखक अचानक ही जनता से पूछ लेता कि इस नारे का अर्थ क्या है? एक सभा में हृष्ट-पुष्ट किसान ने बताया कि इस नारे का अर्थ धरती से है। लेखक अगला प्रश्न पूछता कि कौन-सी धरती? आखिर लोग लेखक से ही पूछते कि वह ही बताएं?
जब लेखक बताता कि हिंदुस्तान के सभी लोग, नदियाँ, पहाड़, जंगल, खेत आदि भारत माता हैं। भारत माता की जय का अर्थ हुआ। भारत देश की सभी सजीव और निर्जीव वस्तुओं की जय। जब लेखक भारतीय जनता को कहता कि वे भारत के भाग हैं, एक प्रकार से वे ही भारत माता हैं, जब लोग स्वयं को भारत देश का अंश समझते तो प्रसन्न हो जाते मानो उन्होंने कोई बड़ा आविष्कार कर लिया हो यानि उन्हें एक नई जानकारी हासिल हो गई हो।