पंजाबी कवि और शायर अवतार सिंह संधू जिन्हें पाश के नाम से जाना जाता है, उन कुछेक कवियों में शुमार है जिन्होंने बहुत ही कम उम्र में अपनी क्रांतिकारी लेखनी से सत्ता को झकझोर देने का काम किया है। आज के इस लेख में हम उनकी कविता ‘क़ैद करोगे अंधकार में’ पढ़ने जा रहे है।
“क्या-क्या नहीं है मेरे पास
शाम की रिमझिम
नूर में चमकती ज़िंदगी
लेकिन मैं हूं
घिरा हुआ अपनों से
क्या झपट लेगा कोई मुझ से
रात में क्या किसी अनजान में
अंधकार में क़ैद कर देंगे
मसल देंगे क्या
जीवन से जीवन
अपनों में से मुझ को क्या कर देंगे अलहदा
और अपनों में से ही मुझे बाहर छिटका देंगे
छिटकी इस पोटली में क़ैद है आपकी मौत का इंतज़ाम
अकूत हूँ सब कुछ हैं मेरे पास
जिसे देखकर तुम समझते हो कुछ नहीं उसमें”