अँधेरे में / Andhere Mein / गजानन माधव मुक्तिबोध

(एक) ज़िंदगी के… कमरों में अँधेरे लगाता है चक्कर कोई एक लगातार; आवाज़ पैरों की देती है सुनाई बार-बार… बार-बार, वह नहीं दीखता… नहीं ही दीखता, किंतु, वह रहा घूम तिलस्मी खोह में गिरफ़्तार कोई …

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मुझे कदम-कदम पर / गजानन माधव मुक्तिबोध

मुझे कदम-कदम पर चौराहे मिलते हैं बांहें फैलाए! एक पैर रखता हूँ कि सौ राहें फूटतीं, मैं उन सब पर से गुजरना चाहता हूँ, बहुत अच्छे लगते हैं उनके तजुर्बे और अपने सपने…. सब सच्चे …

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ब्रह्मराक्षस / गजानन माधव मुक्तिबोध

शहर के उस ओर खंडहर की तरफ़ परित्यक्त सूनी बावड़ी के भीतरी ठण्डे अंधेरे में बसी गहराइयाँ जल की… सीढ़ियाँ डूबी अनेकों उस पुराने घिरे पानी में… समझ में आ न सकता हो कि जैसे …

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लकड़ी का रावण / गजानन माधव मुक्तिबोध

दीखता त्रिकोण इस पर्वत-शिखर से अनाम, अरूप और अनाकार असीम एक कुहरा, भस्मीला अन्धकार फैला है कटे-पिटे पहाड़ी प्रसारों पर; लटकती हैं मटमैली ऊँची-ऊँची लहरें मैदानों पर सभी ओर लेकिन उस कुहरे से बहुत दूर …

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मैं एक कविता लिखूंगा, पर उसमें तुम्हारा नाम नहीं लिखूंगा

कविता शीर्षक : मैं एक कविता लिखूंगा मैं एक कविता लिखूंगा, पर उसमें तुम्हारा नाम नहीं लिखूंगा ।। तुम्हारे मीठे झूठ के साथ, मैं अपने बुरे कारनामें भी ज़रूर लिखूंगा, महज़ तुम्हारे नहीं मैं अपने …

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भगत सिंह ने पहली बार : अवतार सिंह संधू पाश

अवतार सिंह संधू पाश अपनी इस कविता के माध्यम से लोगों को बताना चाहते है कि हमें भगत सिंह के उस मुड़े हुए पन्ने से आगे बढ़ना होगा जिसे भगत सिंह ने सहादत के वक्त …

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सबसे ख़तरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना : अवतार सिंह संधू पाश

इस कविता के माध्यम से अवतार सिंह संधू पाश इंगित करते है कि मेहनत की लूट, पुलिस की मार, ग़द्दारी और लोभ की मुट्ठी आदि ख़तरनाक तो होते है किन्तु सबसे ख़तरनाक तो व्यक्ति के …

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‘क़ैद करोगे अंधकार में’ कविता : अवतार सिंह संधू पाश

पंजाबी कवि और शायर अवतार सिंह संधू जिन्हें पाश के नाम से जाना जाता है, उन कुछेक कवियों में शुमार है जिन्होंने बहुत ही कम उम्र में अपनी क्रांतिकारी लेखनी से सत्ता को झकझोर देने …

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राम की शक्तिपूजा PDF : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला / Ram Ki Shakti Puja

नमस्कार प्यारे दोस्तों ! आज के इस ब्लॉग में हम सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की एक बहुत ही प्रसिद्ध कविता ‘राम की शक्तिपूजा’ के बारे में बात करने जा रहें है। यह कविता निराला के जीवन …

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