क्रिया किसे कहते हैं | क्रिया की परिभाषा, भेद एवं क्रिया के उदाहरण

हिंदीशाला की आज इस पोस्ट में आप हिंदी व्याकरण का बहुत ही उपयोगी टॉपिक ‘क्रिया’ पढ़ने जा रहें है। इस पोस्ट के अंदर आप क्रिया किसे कहते हैं के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर पाओगे। यह टॉपिक हर प्रकार की परीक्षा में मुख्य तौर पर पूछा जाता है। इसलिए आपको इस टॉपिक को अच्छे से पढ़ लेना चाहिए।

क्रिया किसे कहते हैं

क्रिया किसे कहते है ? Kriya Kise Kahte Hain

परिभाषा :- जिस शब्द से किसी कार्य के करने या होने का बोध, हो उसे क्रिया कहते हैं। क्रिया एक विकारी शब्द है तथा इसका अर्थ काम होता है। मूल धातु में ‘ना’ प्रत्यय लगने से क्रिया का निर्माण होता है। क्रिया करने वाले व्यक्ति को कर्ता कहा जाता है। 

क्रिया लिंग, वचन, काल के साथ-साथ संज्ञा और सवर्नाम के आधार पर भी परिवर्तित हो जाती है।

जैसे– लिखना, पढ़ना, आना, जाना, रोना, सोना, हँसना, देखना आदि।

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क्रिया के उदाहरण (Kriya Ke Udahran)

राम पुस्तक पढ़ रहा है।

मोहन खाना खा रहा है।

कविता नाँच रही है।

सोहन गाना गा रहा है।

मंदीप हँस रहा है।

धातु / क्रियामूल– क्रिया के मूल रूप को धातु कहते है। 

जैसे– लिख, पढ़, आ, जा, रो, सो, हँस, देख आदि। 

क्रिया के भेद (Kriya Ke Bhed)

(क) कर्म के आधार पर

(ख) प्रयोग के आधार पर

(ग) काल के आधार पर

सकर्मक क्रिया

परिभाषा :- जिन क्रियाओं को कर्म की आवश्यकता होती है, उन्हें सकर्मक क्रिया कहते हैं। 

जैसे :- 1. राम पुस्तक पढ़ता हैं। 

           2. रवि गीत गाएगा। 

अकर्मक क्रिया

परिभाषा :- जिस वाक्य में क्रिया कर्ता के ऊपर निर्भर होती है, कर्म निश्चित नहीं होता या क्रिया का प्रभाव कर्ता पर पड़ता हैं। अत: जिस क्रियाओं को कर्म की आवश्यकता नहीं होती, उन्हें अकर्मक क्रिया कहा जाता हैं।

जैसे :- 1. पक्षी उड़ रहे है।

           2. बच्चा रो रहा है। 

नोट :- सकर्मक क्रिया में क्रिया का प्रभाव कर्म पर पड़ता है, जबकि अकर्मक क्रिया में क्रिया का प्रभाव कर्ता पर पड़ता हैं। 

प्रेरणार्थक क्रिया

परिभाषा :- जिस क्रिया से कर्ता के स्वयं कार्य करने का बोध न होकर किसी अन्य व्यक्ति से कराए जाने का बोध होता हैं, उसे प्रेणार्थक क्रिया कहते हैं।

जैसे :- 1.  मोहन, सोहन से काम करवाता है। 

           2. माँ, नौकरानी से बच्चे को दूध पिलवा रहीं हैं। 

पूर्वकालिक क्रिया किसे कहते हैं 

परिभाषा :- मुख्य क्रिया से पहले होने वाली क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है। इसमें धातु के साथ ‘कर’ हैं।

जैसे :- आकर, जाकर, खाकर, पीकर, पढ़कर आदि। 

तात्कालिक क्रिया किसे कहते हैं 

परिभाषा :- जिस क्रिया के समाप्त होते ही मुख्य क्रिया आंरभ हो जाए, उसे तात्कालिक क्रिया कहते हैं। इसमें धातु के साथ ‘ते ही’ जुड़ता है। 

जैसे :- देखते ही, चलते ही, पीते ही, खाते ही, खेलते ही आदि। 

मुख्य क्रिया किसे कहते हैं 

परिभाषा :- जो क्रिया वाक्य में मुख्य कार्य कर रही हो, वह मुख्य क्रिया कहलाती हैं। 

जैसे :- 1. तुम यहाँ कर बैठ जाओ।

          2. वह विद्यालय की और चल पड़ा। 

रंजक क्रिया किसे कहते हैं 

रंजक क्रिया को सहायक क्रिया भी कहते हैं। रंजक क्रियाएँ अन्य क्रिया शब्दों के साथ लगकर अपना अर्थ खो देती हैं परन्तु उनके साथ जुड़ने से मुख्य क्रिया में जो बदलाव आता है वह नविन और विशेष होता है 

जैसे :- 1. वह विद्यालय की और चल पड़ा

           2. वह सोचता रहता है। 

संयुक्त क्रिया

परिभाषा :- दो स्वतंत्र अर्थ देने वाली क्रियाएँ जब मुख्य क्रिया और रंजक क्रिया के रूप में एक साथ मिल जाती है, उन्हें सयुंक्त क्रिया कहते है। 

जैसे :- 1. तुम यहाँ आकर बैठ जाओ।  

           2. मोहन स्कूल जाने लगा।

निष्कर्ष

दोस्तों आज के इस ब्लॉग पोस्ट में हमने पढ़ा कि क्रिया किसे कहते हैं तथा इसके कितने भेद है। हमें पूर्ण आशा है कि आपको यह आर्टिकल निश्चित तौर पर पसंद आया होगा। क्रिया के टॉपिक से रिलेटेड किसी भी प्रकार के प्रश्न के लिए आप हमें कमेंट कर सकते हैं।