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इस आर्टिकल में आप समास किसे कहते हैं (Samas Kise Kahte Hain) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यहाँ पर आप समास की परिभाषा, उदाहरण एवं उसके भेदों को सम्यक रूप से पढ़ सकते है। हिंदी व्याकरण का यह टॉपिक सभी परीक्षाओं के लिए काफी लाभदायक साबित होता है। इसलिए आपको इसे अच्छे से तैयार कर लेना चाहिए।
समास किसे कहते हैं ?
परिभाषा :- दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से जो नया शब्द बनता है, उसे समस्त पद कहते है और इस मेल की प्रक्रिया को समास कहते हैं।
समास के उदाहरण
विधालय = विद्या का आलय
चंदरमुख = चंदर सा मुख
समास के कितने भेद होते हैं ?
समास मुख्य रूप से चार भेद हैं—
- तत्पुरुष
- द्वंद्व समास
- बहुव्रीहि समास
- अव्ययीभाव समास
इसके अतिरिक्त दूसरे पद की प्रधनताकी दृष्टि से तत्पुरुष के दो भेद माने जाते हैं—
(क) कर्मधारय
(ख) द्विगु समास
कर्मधारय समास
परिभाषा :- कर्मधारय समास में एक पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य होता है अथवा एक पद उपमेय तथा दूसरा उपमान होता है अर्थात दोनों में से एक की तुलना या उपमा दूसरे से की जाती है।
विशेषण-विशेष्य
महादेव – महान है जो देव
नीलांबर – नीला है जो अंबर
महात्मा – महान है जो आत्मा
पुरुषोत्तम – पुरुषों में है जो उत्तम
नीलकमल – नीला है जो कमल
उपमेय-उपमान
कमलनयन – कमल के समान नयन
घनश्याम – घन के समान श्याम
मृगनयन – मृग के समान नयन
करकमल – कमल रूपी कर
भवसागर – सागर रूपी भव
द्विगु समास
परिभाषा :- द्विगु समास समस्त पद का पहला पद संख्यावाचक होता है। इसमें भी पूर्वपद तथा उत्तर पद में विशेषण-विशेष्य का संबंध होता है।
द्विगु समास के उदाहरण
पंचनद – पाँच नदियों का समाहार
दशानन – दस आनन (मुखों) का समाहार
दोपहर – दो पहरों का समाहार
चवन्नी – चार आनों का समाहार
शताब्दी – सौ वर्षो का समाहार
द्वंद्व समास
परिभाषा :- द्वंद्व का अर्थ होता है— दोनों अर्थात जिस समस्त पद में दोनों पद प्रधान हो, उसे द्वंद्व समास कहते हैं। इसका विग्रह करने पर दोनों पदों के बीच ‘और’ ‘तथा’ ‘अथवा’ और ‘या’ का प्रयोग का होता है तथा दोनों पदों को मिलाते समय इन योजकों का लोप हो जाता है।
द्वंद्व समास के उदाहरण
रुपया-पैसा – रुपया और पैसा
हानि-लाभ – हानि और लाभ
धनी-मानी – धनी और मानी
राजा-रंक – राजा और रंक
अपना-पराया – अपना और पराया
बहुव्रीहि समास
परिभाषा :- जिस समास के समस्त पदों में से कोई भी पद प्रधान नहीं होता, ये दोनों मिलकर किसी तीसरे पद के विशेषण होते हैं और यह तीसरा पद प्रधान होता है, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
बहुव्रीहि समास के उदाहरण
नीलकंठ – नीला है कंठ जिसका वह (शिव)
चतुर्भुज – चार भुजाएँ है जिसकी वह (विष्णु)
दशानन – दश आनन (मुख) हैं जिसके वह (रावण)
पीतांबर – पीला है अंबर जिसका वह (कृष्ण)
दिंगबर – दिशाएँ ही हैं वस्र जिसके वह (नग्न)
अव्ययीभाव समास
परिभाषा :- अव्ययीभावी का अर्थ है — अव्यय हो जाना। जिस समास में पहला पद प्रधान हो तथा वह अव्यय हो तो उसके योग से समस्त पद भी अव्यय बन जाता है। पूर्वपद अव्यय होने के कारण इसका रूप कभी नहीं बदलता।
अव्ययीभाव समास के उदाहरण
आजन्म – जन्म से लेकर
प्रतिपल – प्रत्येक पल
आमरण – मरण तक
प्रत्यक्ष – आँखों के सामने
प्रतिदिन – प्रत्येक दिन
तत्पुरुष समास
परिभाषा :- जिस समास में दूसरा पद प्रधान होता है तथा पहला पद विशेषण होने के नाते के गौण होता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
इस समास में दोनों शब्दों के बीच में आने वाली कारक विभक्तियों का लोप हो जाता है, इसलिए कारक-चिह्नों की दृष्टि से तत्पुरुष समास के छ: भेद किए जा सकते हैं।
कर्म तत्पुरुष समास :- जहाँ पूर्वपद में कर्म कारक की विभक्ति ‘को’ का हो जाता है, वहाँ कर्म तत्पुरुष समास होता है।
कर्म तत्पुरुष समास के उदाहरण
गगनचुंबी – गगन को चूमने वाला
स्वर्गप्राप्त – स्वर्ग को प्राप्त
ग्रामगत – ग्राम को गया हुआ
आशातीत – आशा लाँघ को गया हुआ
यश प्राप्त – यश को प्राप्त
करण तत्पुरुष :- जहाँ पूर्वपद में करण कारक की विभक्ति का लोप हो जाता है, उसे करण तत्पुरुष समास कहते हैं।
करण तत्पुरुष के उदाहरण
सूरकृत- सूर द्वारा कृत
मनगढ़त – मन से गढ़ी हुई
गुणयुक्त – गुण से युक्त
मदांध – मद से अंधा
भुखमरा – भूख से मरा
संप्रदान तत्पुरुष :- जहाँ पूर्वपद में संप्रदान कारक की विभक्ति ‘के लिए’ का लोप हो जाता है , वहाँ संप्रदान तत्पुरुष समास कहते है।
संप्रदान तत्पुरुष के उदाहरण
राहखर्च – राह के लिए खर्च
विद्यालय – विद्या के लिए आलय
पुण्यदान – पुण्य के लिए दान
परीक्षा केंद्र – परीक्षा के लिए केंद्र
गुरु दक्षिणा – गुरु के लिए दक्षिणा
अपादान तत्पुरुष :- जहाँ पूर्वपद में अपादान कारक की विभक्ति ‘से’ (अलग होने का भाव) का लोप जाता है, वहाँ अपादान तत्पुरुष समास होता है।
अपादान तत्पुरुष के उदाहरण
धनहीन – धन से हीन
ऋण मुक्त – ऋण से मुक्त
धर्म विमुख – धर्म से विमुख
भयभीत – भय से भीत
ईश्वर विमुख – ईश्वर से विमुख
संबंध तत्पुरुष :- जहाँ पूर्वपद में अपादान कारक की विभक्ति का, के, की का लोप हो जाता है, वहाँ संबंध तत्पुरुष समास होता है।
संबंध तत्पुरुष के उदाहरण
देशवासी – देश का वासी
समयानुसार – समय के अनुसार
देवालय – देव का आलय
उद्योगपति – उद्योग का पति
प्रेमसागर – प्रेम का सागर
अधिकरण तत्पुरुष :- जहाँ पूर्वपद में अधिकरण कारक में, पर विभक्ति का लोप जाता है, वहाँ अधिकरण तत्पुरुष समास है।
अधिकरण तत्पुरुष के उदाहरण
दानवीर – दान में वीर
सिरदर्द – सिर में दर्द
कार्यकुशल – कार्य में कुशल
घुड़सवार – घोड़े पर सवार
स्वर्गवास – स्वर्ग में वास
निष्कर्ष
हमने इस पोस्ट समास किसे कहते हैं (Samas Kise Kahte Hain) के बारे में आपको बताया है। आशा है आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा। यदि समास के बारे में आपको कोई प्रश्न पूछना है तो आप हमें कमेंट करके पूछ सकते है। हिंदीशाला टीम आपकी सहायता के लिए हमेशा तैयार है। इसके अतिरिक्त आप इस वेबसाइट में सुधार हेतु अपने कीमती सुझाव भी हमारे साथ साँझा कर सकते हैं।