शमशेर बहादुर का जीवन परिचय / Shamsher Bahadur Jeevan Parichay

हिंदीशाला के इस ब्लॉग में आज हम पढ़ने जा रहें है शमशेर बहादुर का जीवन परिचय। इसके साथ ही साथ हम इनकी प्रमुख रचनाओं और साहित्यिक विशेषताओं के बारे में भी जानेंगे। नीचे के आर्टिकल को विजिट करके आप और अन्य हिंदी के कवियों के जीवन परिचय को पढ़ सकते है।

शमशेर बहादुर का जीवन परिचय

शमशेर बहादुर जीवन परिचय

शमशेर बहादुर सिंह हिंदी साहित्य की नई कविता के प्रमुख कवि माने जाते हैं। इनका अज्ञेय के तार सप्तक में महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनका जन्म 13 जनवरी, सन् 1911 ई० को उत्तरांचल के देहरादून जिले के एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के एक स्कूल में हुई। हाई स्कूल और इंटर की परीक्षा गोंडा से प्राप्त की। इन्होंने बी० ए० तथा एम० ए० पूर्वार्ध की उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ग्रहण की।

इनकी प्रारंभ से ही चित्रकला में अधिक रुचि थी जिसका प्रयोग इन्होंने अपनी रचनाओं में किया है। इन्होंने दो वर्ष तक ‘सुमित्रानंदन पंत’ के रूपाभ पत्र में कार्य किया। इसके बाद वे कहानी और नया साहित्य आदि पत्र-पत्रिकाओं के संपादक मंडल में रहे। ये दिल्ली विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में कोश से संबंधित कार्य भी करते रहे। तत्पश्चात् विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में ‘प्रेमचंद सृजन’ पीठ के अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे। सन् 1977 ई० में ‘चुका भी हूँ नहीं मैं काव्य-संग्रह पर इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से अलंकृत किया गया। इन्हें साहित्य को उत्कृष्टता के लिए कबीर सम्मान सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया। अंततः सन् 1993 ई० में दिल्ली में आप अपना महान् साहित्य हिंदी जगत् को सौंपकर चिरनिद्रा में लीन हो गए।

नाम शमशेर बहादुर
जन्म 13 जनवरी 1911 ई.
जन्म स्थान देहरादून, उत्तरांचल
पिता का नाम तारीफ सिंह
माता का नाम प्रभुदेई
पत्नी का नाम धर्मवती
प्रमुख रचनाएँ बात बोलेगी, काल तुमसे होड़ है मेरी
निधन 12 मई 1993 ई.
जीवंत आयु 82 वर्ष

प्रमुख रचनाएँ

शमशेर बहादुर सिंह हिंदी साहित्य के एक श्रेष्ठ प्रगतिशील कवि माने जाते हैं। उन्होंने अनेक विधाओं पर सफल लेखनी चलाई है। उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं-

काव्य संग्रह – चुका भी हूँ नहीं में, कुछ कविताएँ, कुछ और कविताएँ इतने पास अपने, बात बोलेगी, काल तुमसे होड़ है मेरी।

संपादन – उर्दू-हिंदी कोश

निबंध संग्रह – दोआब

कहानी संग्रह – प्लाट का मोर्चा

साहित्यिक विशेषताएँ

 शमशेर जी हिंदी के सर्वाधिक प्रसिद्ध प्रगतिशील कवि हैं। बौद्धिक स्तर पर उन पर मार्क्सवादी विचारों का गहन प्रभाव है। वे विचारों के स्तर पर प्रगतिशील तथा शिल्प के स्तर पर प्रयोगधर्मी कवि हैं। उनके साहित्य को प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

गरीबी का सजीव चित्रण

शमशेर जी ने अपने काव्य में समाज में फैली गरीबी का सजीव चित्रण किया है। गरीबी के कारण समाज की दयनीय दशा के प्रति इन्होंने गहन चिंता व्यक्त की है। गरीबी रूपी दानव ने संपूर्ण समाज को घेर लिया है जिसके कारण जनता बुद्धिहीन हो गई। इन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से बताया है कि समाज में घर-घर मजदूरी करने वाले मज़दूरों की दुर्दशा त्रासदपूर्ण है। घर-घर मजदूरी करने वाले मजदूर का पूरा परिवार घर-घर मजदूरी करने पर मजबूर है। कवि ने समाज में बढ़ रही इस त्रासदी पर गहन चिंता व्यक्त की है।

देशभक्ति की भावना

शमशेर हिंदी साहित्य के एक सजग साहित्यकार थे। उनके हृदय में अपने देश के प्रति गहन प्रेम था। उन्होंने अपने काव्य में अपने देश तथा संस्कृति का अनूठा चित्रण किया है। उनकी अनेक कविताएँ भारतीय जनता को स्वतंत्रता के प्रति जागृत करने का आह्वान करती हैं। कवि ने भारतीय जनता को अपनी स्वतंत्रता को बचाने के लिए एकजुट रहने का संदेश दिया है। वे कहते हैं, हमें अपनी स्वतंत्रता को बचाने के लिए एकता की भावना को बनाए रखना चाहिए।

सामाजिक जीवन का यथार्थ चित्रण

शमशेर जी यथार्थवादी भावना से ओत-प्रोत कवि माने जाते हैं। उन्होंने अपने काव्य में यथार्थ की भावभूमि का सहारा लेकर वर्णन किया है। यही कारण है कि उनकी कविताओं समकालीन समाज के जन-जीवन का यथार्थ चित्रण मिलता है। इन्होंने समाज की उठा-पटक, ईर्ष्या-द्वेष, गरीबी, लाचारी, शोषण आदि की यथार्थ अभिव्यंजना की है।

प्रगतिवादी चेतना

शमशेर जी मार्क्सवादी विचारधारा से प्रेरित कवि हैं इसलिए उनके साहित्य में प्रगतिवादी चेतना का प्रतिपादन भी हुआ है। इनकी अनेक कविताओं पर द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का गहन प्रभाव दिखाई देता है। इन्होंने अपने साहित्य में शोषक वर्ग की खुलकर निंदा की है तथा शोषित समाज के प्रति विशेष सहानुभूति प्रकट की है। इन्होंने शोषण का शिकार झेल रहे दीन-हीन समाज के प्रति गहरी संवेदना अभिव्यक्त की है।

प्रकृति-चित्रण

शमशेर जी का मन प्रकृति-वर्णन में खूब रमा है। उनका जन्म ही प्रकृति के आँचल में हुआ था। अतः प्रकृति से उनका बचपन से लगाव था। उन्होंने प्रकृति-सौंदर्य को बहुत नज़दीक से देखा है इसीलिए उनके काव्य में प्रकृति-सौंदर्य का अनूठा चित्रण हुआ है। इन्होंने अनेक कविताओं में प्रकृति में अनेक सुंदर और मनोहारी चित्र बिखेरे हैं। चित्रकला में विशेष रुचि होने के कारण इनके प्राकृतिक चित्र अत्यंत सजीव बन पड़े हैं।

भाषा शैली

शमशेर जी एक प्रयोगधर्मी कवि हैं। इनकी कविताएँ जहाँ एक ओर अत्यंत बोधगम्य तथा सरल हैं। तो दूसरी ओर नितांत जटिल भी हैं। कवि पर उर्दू शायरी का भी प्रभाव देखा जा सकता है जिसके कारण उन्होंने संज्ञा और विशेषण से अधिक सर्वनामों, क्रियाओं, अव्ययों और मुहावरों पर बल दिया है। शमशेर जी की प्रवृत्ति सदा ही वस्तुपरकता को उसके मार्मिक रूप में ग्रहण करने की रही है। इसीलिए उनकी काव्य अनुभूति बिंब ही नहीं बल्कि बिंबलोक की है।

इनके काव्य में प्रगतिवाद, प्रयोगवाद तथा नई कविता के तत्व घुल-मिलकर इनके भाव और भाषा को उजला रूप प्रदान करते हैं। चित्रकला-संगीत और कविता इनकी सर्जनात्मकता को नया रंग देते हैं। इनकी भाषा सरल, सुबोध, साहित्यिक खड़ी बोली है जिसमें तत्सम, तद्भव, अंग्रेजी, उर्दू, फारसी आदि भाषाओं की शब्दावली का प्रयोग हुआ है। इनकी शैली भावपूर्ण है। इसके साथ-साथ चित्रात्मक, वर्णनात्मक शैलियों का प्रयोग भी किया है। मुहावरों के प्रयोग से इनकी भाषा में रोचकता उत्पन्न हो गई है।

Leave a Comment