सत्तारूढ़ राजाओं और धार्मिक पाखंडता के खिलाफ कबीरदास के दोहे
नमस्कार दोस्तों ! आज के इस लेख में हम भक्तिकाल के आधार स्तंभ माने जाने वाले कवि कबीरदास के उन दोहों को आपके साथ साँझा करने जा रहें है जो तत्कालीन सत्तारूढ़ राजाओं और धार्मिक …
नमस्कार दोस्तों ! आज के इस लेख में हम भक्तिकाल के आधार स्तंभ माने जाने वाले कवि कबीरदास के उन दोहों को आपके साथ साँझा करने जा रहें है जो तत्कालीन सत्तारूढ़ राजाओं और धार्मिक …
आज के इस पोस्ट में हमने हिंदी साहित्य की एक बहुत बड़ी कवयित्री मीराबाई के जीवन और साहित्य से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण सवाल जवाब आपके साथ साँझा किये है। ये प्रश्न आपकी प्रतियोगी परीक्षा के …
मीराबाई की काव्य कला मीराबाई कृष्ण भक्त कवयित्री है जिनका भाव पक्ष अत्यंत सरल है। उसमें प्रेम और भक्त हृदय मुखरित हो पाया है। कला पक्ष को उसमें ढूंढ़ना और उसे महत्त्व देना इतना आवश्यक …
मीराबाई की प्रेम साधना मीराबाई प्रेम-दीवानी थी और उनका सारा काव्य प्रेम के उद्गारों से परिपूर्ण हैं। इसलिए कई आलोचक मान लेते हैं कि ‘मीरा में दर्शन और विचारों की खोज व्यर्थ है वह प्रेम …
कृष्ण काव्य की प्रवृत्तियाँ सगुण-कृष्ण भक्ति-सगुण कृष्ण भक्ति काव्य से अभिप्राय उस काव्य से है जिसमें कवियों ने ईश्वर का रूप श्रीकृष्ण में देखकर अपने काव्य की रचना की। कवियों ने इस काव्य में श्रीकृष्ण …
सूफी काव्य की प्रवृत्तियाँ सूफी काव्य की प्रवृत्तियाँ / Sufi Kavya Ki Parvatiya : सूफी काव्य परंपरा-‘सूफी’ फारसी भाषा का शब्द है। चूंकि सूफ का अर्थ ऊन होता है, अतः सूफी का अर्थ हुआ-वे विरक्त …
रामकाव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ रामभक्ति काव्य-सगुण रामभक्ति काव्य से अभिप्राय उस काव्य से है जिसमें कवियों ने ईश्वर का रूप श्रीराम में देखकर अपने काव्य की रचना की। कवियों ने इस काव्य में श्रीराम के …
सांझा सीर नाटक का सार साझा सीर श्री रामफल चहल द्वारा रचित एक उल्लेखनीय नाटक है जो आज के भौतिकवाद युग के कारण लोगों की परिवर्तित मानसिकता पर प्रकाश डालता है। मानसिंह का छोटा …
प्रेमचंद का जीवन दर्शन प्रेमचन्द हिन्दी-जगत् में उपन्यास सम्राट् के रूप में विख्यात हैं। साथ ही, वे युगीन सुप्रसिद्ध कहानीकार भी रहे हैं। उन्होंने अपने जीवन में कटु अनुभव किये थे तथा भारतीय जीवन की …
ध्रुवस्वामिनी नाटक तात्विक समीक्षा ‘ध्रुवस्वामिनी’ जयशंकर प्रसाद जी का एक श्रेष्ठ नाटक है। इस नाटक में प्रसाद जी की निर्दोष नाट्य कला के दर्शन होते हैं। यह नाटक रंगमंच एवं कलात्मकता दोनों ही दृष्टियों से …