चन्द्रगुप्त का चरित्र-चित्रण | Chandragupt ka Charitra chitran PDF

चन्द्रगुप्त का चरित्र चित्रण चन्द्रगुप्त ध्रुवस्वामिनी’ नाटक का प्रमुख पात्र है। यह पात्र इतिहास प्रसिद्ध पात्र है। चन्द्रगुप्त सम्राट समुद्रगुप्त का द्वितीय पुत्र था, जिसे उन्होंने हर तरह से योग्य जानकर अपना उत्तराधिकारी घोषित किया …

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ध्रुवस्वामिनी का चरित्र चित्रण | Dhruvswamini Ka Charitra Chitran

ध्रुवस्वामिनी का चरित्र चित्रण ध्रुवस्वामिनी इस नाटक की सर्वाधिक प्रमुख पात्र है। सम्पूर्ण नाटक उसी के चरित्र के इर्द-गिर्द घूमता है। वह चन्द्रगुप्त की वाग्दत्ता है, परंतु उसका विवाह छलपूर्वक अयोग्य रामगुप्त से हो जाता …

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भक्तिकाल को हिंदी साहित्य का स्वर्ण-युग क्यों कहा जाता है; Bhaktikal Swarn Yug

भक्तिकाल हिंदी साहित्य का स्वर्ण-युग भक्तिकाल : एक स्वर्ण युग साहित्य के संदर्भ में स्वर्ण युगीन साहित्य से अभिप्राय उस साहित्य से होता जिसका संबंध सार्वकालिक, सार्वभौमिक तथा सार्वदेशिक हो। जिसमें सभ्यता और संस्कृति का …

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ध्रुवस्वामिनी नाटक का नायकत्व PDF : क्या ध्रुवस्वामिनी नाटक नायिका प्रधान रचना है ?

ध्रुवस्वामिनी नाटक का नायकत्व आलोचकों में यह प्रश्न सदा से विवादास्पद रहा है कि ‘ध्रुवस्वामिनी’ नाटक में नायक कौन है? इस नाटक में पुरुष पात्रों में रामगुप्त और चंद्रगुप्त दो प्रधान पुरुषपात्र हैं और नारी …

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ध्रुवस्वामिनी नाटक का उद्देश्य और समस्याएं PDF : जयशंकर प्रसाद नाटक

ध्रुवस्वामिनी नाटक का उद्देश्य ध्रुवस्वामिनी एक उद्देश्यपूर्ण नाटक है, जिसमें जयशंकर प्रसाद जी ने ऐतिहासिक कथानक लेते हुए अपने उद्देश्य को स्पष्ट किया है। स्वयं उसके अनुसार- ‘मेरी इच्छा भारतीय इतिहास के अप्रकाशित अंश में …

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ध्रुवस्वामिनी नाटक का सार/सारांश | Dhruvswamini Natak Summary PDF

ध्रुवस्वामिनी नाटक का सार ध्रुवस्वामिनी जयशंकर प्रसाद कृत एक ऐतिहासिक नाटक है, जो ऐतिहासिक नाटक होकर भी समस्या नाटक बन गया है। कलात्मक उत्कर्ष की दृष्टि से यह नाटक उनके तीन प्रमुख नाटकों; क्रमश- स्कन्दगुप्त’, …

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काव्य प्रयोजन – काव्य शास्त्र – अर्थ, परिभाषा, विद्वानों के मत / Kavya Prayojan

आज के इस नए आर्टिकल में हम काव्य प्रयोजन को पढ़ने जा रहें है। हिंदी और संस्कृत के पाठकों के लिए यह विषय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। यहाँ हम काव्य प्रयोजन का अर्थ, काव्य …

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संत काव्य धारा की विशेषताएँ PDF / संत काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ

संत काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ निर्गुण संतकाव्य से अभिप्राय उस काव्य से है जिसके अनुसार ईश्वर का न तो कोई नाम है, न कोई रूप और आकार। जिस कवि ने इस तरह का काव्य रचा, …

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कबीर की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए – Kabir Das Ki Bhakti Bhavna

हिंदीशाला के इस पोस्ट में हम हिंदी के बहुत ही प्रसिद्ध कवि कबीरदास की भक्ति भावना के बारे में पढ़ने जा रहें ही। यदि आप हिंदी के विद्यार्थी है तो निश्चित तौर पर आपने कबीर …

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भक्तिकालीन साहित्य की भाषा, काव्य-रूप और छंद

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम हिंदी साहित्य के एक सुप्रसिद्ध काल भक्तिकाल की भाषा, काव्य रूप और उस काल में प्रयुक्त छंदो के बारे में पढ़ने जा रहें है। यदि आप हिंदी विषय …

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