Contents
राष्ट्रीय एकता पर निबंध
एक परिवार से लेकर पूरे राष्ट्र और विश्व तक के जीवन में एकता का बहुत महत्त्व है। भारत कई राज्यों की इकाइयों का संघ है। इसमें अनेक भाषा बोलने वाले, अनेक धर्मों को मानने वाले और अनेक विचारधाराओं के लोग रहते हैं। ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय एकता का महत्त्व और भी बढ़ जाता है, किंतु भारतवर्ष की परंपराएं और संस्कृति एक है। हमारा संविधान एक है। पूर्ण राष्ट्र माला के विभिन्न फूलों की भाँति एकता के सूत्र में बंधा हुआ है। भारत कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक एक है।
है एक ही देश, एक ही है लक्ष्य हमारा; है एक ध्वज, एक ही संगीत हमारा।
हम एक-सी ही राह, हैं सभी मिलकर बनाते; हम एक हैं सब एकता का नाद गुंजाते ॥
राष्ट्रीय एकता का महत्त्व
एकता का मानव जीवन में बहुत महत्त्व है। एकता के अभाव में मानव-जीवन बिखर जाता है। उसकी उन्नति के सारे मार्ग बंद हो जाते हैं। यही स्थिति एक राष्ट्र की भी होती है। जब तक संपूर्ण राष्ट्र एक है तब तक कोई भी विदेशी शक्ति देश की और आँख उठाकर नहीं देख सकती, परंतु जब देश में कलह या एकता का अभाव दृष्टिगोचर होने लगे, तो देश पतन के गर्त में चला जाता है।
पृथ्वीराज तथा जयचंद का उदाहरण द्रष्टव्य है। उनकी आपसी फूट के कारण ही मुहम्मद गौरी को भारत पर आकरण करने का साहस हुआ। रावण और विभीषण की आपसी फूट के कारण ही सोने की लंका जलकर राख हो गई। राजपूतों की परस्पर शत्रुता के कारण ही भारत में मुगलों के पाँव जम गए।
एकता के मार्ग में बाधाएँ
भारत की राष्ट्रीय एकता में आज अनेक बाधाएँ उत्पन्न हो गई हैं; लेकिन सबसे बड़ी बाधा तो भाषा की भिन्नता है।
भाषा की विभिन्नता के कारण एक ही देश के लोग एक-दूसरे के लिए अजनबी बन जाते हैं। भाषा को लेकर आए दिन दंगे होते हैं। राष्ट्रीय एकता के मार्ग में दूसरी बड़ी बाधा है-सांप्रदायिकता की।
हर दिन विभिन्न संप्रदायों के लोगों में झगड़े होते रहते हैं। तीसरी बाधा है-प्रांतीयता और चौथी बाधा है-जातीयता की। इन सब कारणों ने भारत की राष्ट्रीय एकता को कमजोर बना दिया है।
Also Read:-
मेरे सपनों का भारत पर निबंध
खेलों का महत्व पर निबंध PDF
राष्ट्रीय एकता के उपाय
इन बाधाओं को दूर करके राष्ट्रीय एकता को पहले की अपेक्षा मजबूत बनाया जा सकता है। देश के स्वतंत्र होने के पश्चात् उन सब बाधाओं को दूर करने के प्रयास किए गए हैं, जो राष्ट्रीयता के मार्ग में बाधा पहुँचा रही हैं। इसमें संदेह नहीं कि स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात् प्रातीयता, सांप्रदायिकता और जातीयता में वृद्धि हुई है।
अतः हमें फिर से उन समस्याओं का समाधान करना होगा, जो हमारी राष्ट्रीय एकता के मार्ग में बाधक सिद्ध हो रही है। हमें आपने देश के नागरिको के प्रति सम्मान रखना चाहिए इससे देश में भेदभाव और विविधता कम होती हैं। स्कूल में राष्ट्रीय एकता को शिक्षा के माध्यम से बच्चों को समझाना चाहिए इससे बच्चों में राष्ट्रीय एकता के भाव उत्पन होते हैं। राजनैतिक दलों को देश की ऐसी समस्याओं को हल करने की तरफ ध्यान देना चाहिए जो देश की एकता में बाधा उत्पन करते हो।
राष्ट्रीय एकता की रक्षा
देश के हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह राष्ट्रीय एकता को स्थिर रखने के लिए तन-मन और धन से कार्य करे। उसे उन भावनाओं और विचारों से दूर रहना चाहिए जो राष्ट्रीय एकता को हानि पहुँचाते हैं। उसे किसी लालच में आकर अपने देश की एकता को ठेस नहीं पहुँचानी चाहिए।
यदि राष्ट्र में रहने वाले हम सभी नागरिक एकता के सूत्र में बँधकर रहेंगे तभी सुरक्षित रह सकेंगे। राष्ट्रीय एकता एक राष्ट्र के सभी लोगों के भावनात्मक, सामाजिक और सांस्कृतिक एकता की दृष्टि से एक बहुमूल्य संपदा है। राष्ट्रीय एकता की रक्षा देश के संघर्षों और असंतोषों से सुनिश्चित करती है जो अक्सर भिन्न-भिन्न समाजों, जातियों, धर्मों और क्षेत्रों के बीच होते हैं। राष्ट्रीय एकता देश की सफलता का मूल आधार होती है। अतः हमें देश की राष्ट्रीय एकता की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए।
उपसंहार
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जैसे माला में पिरोए हुए हर मोती का महत्त्व तब तक ही होता है जब तक वह माला में रहता है। माला के टूट जाने पर मोती बिखर जाते हैं और उनका कोई महत्व नहीं रहता। इसी प्रकार हर नागरिक या राज्य का महत्त्व राष्ट्र के साथ जुड़कर रहने में ही है। यदि हम एक हैं तो सुरक्षित हैं, अन्यथा कोई भी शत्रु हमें गुलाम बना सकता है।