सॉस-साँस में बाँस पाठ का सार
सॉस-साँस में बाँस निबंध एलेक्स एम० जॉर्ज के द्वारा लिखा गया है। प्रस्तुत पाठ में एक बहुत ही उपयोगी एंड बाँस का वर्णन किया गया है। बाँस को दैनिक जीवन के अनेक कार्यों में प्रयोग में लाया जाता है। यह भारत के अनेक भागों में बहुत अधिक रूपों में पाया जाता है। विशेषतः देश के पूर्वोत्तर राज्यों में यह खूब उत्पन्न होता है। वहाँ यह लोगों की रोटी-रोटी का साधन है। बाँस की बनी अनेक वस्तुएँ बनाने में नागालैंड के लोग बहुत ही कुशल होते हैं।
मानव आदिकाल से बाँस का उपयोग करता आ रहा है। भोजन इकट्ठा करने के लिए उसने डलिया के आकार की कोई वस्तु बनाई होगी। यह तरकीब उसने चिड़िया के घोंसले को देखकर सीखी होगी। बॉस से टोकरियाँ, बटायाँ टोपियाँ, वर्तन, बैलगाड़ियाँ, फर्नीचर, सजावटी सामान, जाल, मकान, पुल आदि बनाए जाते हैं। असम के लोग इसी प्रकार के जाल ‘जकाई’ से मछली पकड़ते हैं। वहाँ के बागानों की टोकरियाँ भी बाँस से ही बनी होती हैं।
बरसात के दिनों के खाली समय में बाँस की वस्तुएँ बनाने का अच्छा समय होता है। बॉस को काटकर उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लेते हैं। उसकी पतली-पतली खपच्चियाँ बनाकर रंग में रंगते हैं। फिर उन खपच्चियों से अपनी इच्छा के अनुसार टोकरियाँ, वस्तुएँ तैयार कर लेते हैं। यह हुनर सीखने में काफी समय लगता है। तैयार टोकरियों घर में भी प्रयोग की जा सकती हैं, या बाजार में बेचकर आमदनी का साधन भी बनाया जा सकता है।
बाँस से मेरा रिश्ता
बाँस का यह झुरमुट मुझे अमीर बना देता है। इससे में अपना घर बना सकता हूँ, बॉस के बरतन और औज़ार इस्तेमाल करता हूँ, सूखे बॉस को में ईंधन की तरह इस्तेमाल करता हूँ, बाँस का कोयला जलाता हूँ, बाँस का अचार खाता हूँ, बॉस के पालने में मेरा बचपन गुज़रा, पत्नी भी तो मैंने बाँस की टोकरी के ज़रिए पाई और फिर अंत में बाँस पर ही लिटाकर मुझे मरघट ले जाया जाएगा।
सॉस-साँस में बाँस प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1. बाँस को बूढ़ा कब कहा जा सकता है? बूढ़े बाँस में कौन सी विशेषता होती है जो युवा बाँस में नहीं पाई जाती ?
उत्तर- जब बाँस तीन साल का हो जाता है तो उसे बूढ़ा कहा जा सकता है। बूढ़ा बाँस सख्त होता है और आसानी से टूट जाता है। जबकि यह विशेषता एक वर्ष से कम उम्र वाले युवा बाँस में नहीं पाई जाती।
प्रश्न 2. बॉस से बनाई जाने वाली चीज़ों में सबसे आश्चर्यजनक चीज़ तुम्हें कौन सी लगी और क्यों?
उत्तर – बाँस से तरह-तरह की चटाइयाँ, बाँसुरी, टोकरियाँ, बरतन, बैल गाड़ियाँ, फर्नीचर, सजावटी सामान, जाल तथा खिलौने आदि बनाए जाते हैं। इनमें सबसे आश्चर्यजनक चीज़ खिलौने लगे क्योंकि बच्चों को रंग-बिरंगे खिलौने बहुत प्रिय होते हैं।
प्रश्न 3. बाँस की बुनाई मानव के इतिहास में कब आरंभ हुई होगी?
उत्तर- बाँस की बुनाई मानव के इतिहास में उस समय आरंभ हुई होगी जब वह भोजन इकट्ठा करता था। जब से मनुष्य ने कलात्मक चीजें बनानी शुरू कीं, बाँस की चीजें तभी से बन रही हैं।
प्रश्न 4. बाँस के विभिन्न उपयोगों से संबंधित जानकारी देश के किस भू-भाग के संदर्भ में दी गई है? एटलस में देखो ।
उत्तर- बाँस के विभिन्न उपयोगों से संबंधित जानकारी देश के उत्तरी-पूर्वी राज्य नागालैंड के संदर्भ में दी गई है। एटलस में इस भू-भाग को देखने का कार्य अध्यापक की सहायता से छात्र स्वयं करें।
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प्रश्न 1.इस पाठ में कई हिस्से हैं जहाँ किसी काम को करने का तरीका समझाया गया है? जैसे- छोटी मछलियों को पकड़ने के लिए इसे पानी की सतह पर रखा जाता है या फिर धीरे-धीरे चलते हुए खींचा जाता है। बाँस की खपच्चियों को इस तरह बाँधा जाता है कि वे एक शंकु का आकार ले लें। इस शंकु का ऊपरी सिरा अंडाकार होता है। निचले नुकीले सिरे पर खपच्चियाँ एक-दूसरे में गुथी हुई होती हैं।
• इस वर्णन को ध्यान से पढ़कर नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर अनुमान लगाकर दो यदि अंदाज़ा लगाने में दिक्कत हो तो आपस में बातचीत करके सोची-
(क) बाँस से बनाए गए शंकु के आकार का जाल छोटी मछलियों को पकड़ने के लिए ही क्यों इस्तेमाल किया जाता है?
(ख) शंकु का ऊपरी हिस्सा अंडाकार होता है तो नीचे का हिस्सा कैसा दिखाई देता है?
(ग) इस जाल से मछली पकड़ने वालों को धीरे-धीरे क्यों चलना पड़ता है?
उत्तर- (क) बॉस से बनाए गए शंकु के आकार के जाल को पानी की सतह पर आसानी से रखा जा सकता है।
(ख) शंकु का ऊपरी हिस्सा अंडाकार होता है तो नीचे का हिस्सा नुकीला होता है जिसमें खपच्चियाँ एक-दूसरे से गुंथी हुई होती हैं।
(ग) यदि मछली पकड़ने वाले जाल लेकर धीरे न चले तो मछलियाँ जाल में नहीं फसेंगी। उनके कदमों की आहट से वे भाग जाएंगी। साथ ही पानी का दबाव होने के कारण तेज गति से चलना भी संभव नहीं होता।