आज के इस नए लेख में हम Class 6 Hindi Chapter 1 ‘वह चिड़िया जो’ के बारे में पढ़ने जा रहें है। इस कविता के रचियता केदारनाथ अग्रवाल जी है। हिंदी साहित्य में इन्हें प्रगतिवाद का कवि स्वीकार किया जाता है। कक्षा 6 की परीक्षा में बहुत बार इस कविता की व्याख्या को पूछा जाता है। इसीलिए आपको इस कविता को अच्छे से समझ लेना चाहिए ताकि आपका रिजल्ट बढ़िया आ सकें।
वह चिड़िया जो सारांश
‘Vah Chidiya Jo’ कविता के माध्यम से कवि ने चिड़िया को इंगित करके अपने मनोभावों को साँझा करने का प्रयास किया है। कवि कहता है कि छोटी चिड़िया बहुत संतोषी है। उसे अन्न से बहुत प्यार है। वो एकांत में भी बड़े उमंग से रहती हैं और कंठ खोल कर बूढ़े घने वन में गाती रहती हैं।
वह बड़े संतोष के साथ दूध भरे ज्वार के दाने खाती हैं। उसे नदी से भी बहुत प्यार है। कवि कहता है कि उसे स्वयं पर गर्व है, वह उफनती नदी में बड़े साहस के साथ जाकर मोती जैसे जल के बूंदों को अपने चोंच में भर लाती है। इस कविता के जरिए कवि ने अपने अंदर की कल्पित नीले चिड़िया के माध्यम से मनुष्य के महत्वपूर्ण गुणों को उजागर किया है।
वह चिड़िया जो व्याख्या
वह चिड़िया जो –
चोंच मार कर
दूध-भरे जुंडी के दाने
रुचि से, रस से खा लेती है
वह छोटी संतोषी चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे अन्न से बहुत प्यार है।
कठिन शब्दों के अर्थ – जुंडी = जौ और बाजरे की बालियाँ। रुचि = पसंद, इच्छा । रस से = खुशी से। संतोषी = संतोष रखने वाली।
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘वसंत’ भाग 1 में संकलित ‘वह चिड़िया जो’ नामक कविता से लिया गया है। इस कविता के रचयिता श्री केदारनाथ अग्रवाल हैं। इन पंक्तियों में कवि ने नीले पंखों वाली चिड़िया के खान-पान तथा स्वभाव के विषय में बताया है।
सरलार्थ – कवि कहता है कि वह चिड़िया जिसके पंख नीले हैं, अपनी चोंच से जी और बाजरे के दूध से भरे दानों को रुचि के साथ खुशी से खाती है। क्योंकि उसको इन दूध से भरी हुए बालियों के दानों का स्वाद बहुत पसंद है। वह चिड़िया आकार से तो छोटी, परंतु स्वभाव से संतोष रखने वाली है। उसे अनाज के दाने अत्यंत प्रिय हैं। इसी कारण उनको वह बड़े चाव से खाती है।
भावार्थ – भाव यह है कि चिड़िया का रंग नीला है। वह शरीर से छोटी, परंतु स्वभाव से संतोषी है। उसका सबसे प्रिय आहार जी-बाजरे की बालियों के दाने हैं।
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वह चिड़िया जो –
कंठ खोल कर
बूढ़े वन -बाबा की खातिर
रस उँडेलकर गा लेती है
वह छोटी मुँह बोली चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे विजन से बहुत प्यार है।
कठिन शब्दों अर्थ – कंठ = गला। बूढ़े वन-बाबा = वन में रहने वाले, पशु-पक्षी तथा लोग खातिर = के लिए। रस उडेल कर गाना = बहुत मीठी आवाज में गाना। विजन = आकाश।
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘वसंत’ भाग 1 में संकलित ‘वह चिड़िया जो’ नामक कविता से लिया गया है। इस कविता के रचयिता श्री केदारनाथ अग्रवाल हैं। इन पंक्तियों में कवि ने नीले पंखों वाली चिड़िया के मधुर गान तथा आकाश में स्वतंत्र रूप से उड़ने का वर्णन किया है।
सरलार्थ – कवि कहता है कि वह चिड़िया जब अपने मुक्त कंठ से मधुर स्वर में गाती है तो जंगल में रहने वाले पशु-पक्षी तथा लोगों को खुशी मिलती है। वह छोटी-सी मुँहबोली चिड़िया है, जिसके नीले पंख अत्यंत सुंदर हैं। वह आसमान में मधुर गीत गाते हुए स्वतंत्र रूप से उड़ती है।
भावार्थ – भाव यह है कि चिड़िया जब अपने मुक्त कंठ से मधुर स्वर में गाना गाती है तो जंगल में रहने वाले सभी प्राणी प्रसन्न हो जाते हैं। वह चिड़िया गाना गाते हुए आसमान में उड़ जाती है।
वह चिड़िया जो-
चोंच मार कर
चढ़ी नदी का दिल टटोलकर
जल का मोती ले जाती है
वह छोटी गरबीली चिड़िया
नीले पंखों वाली में हूँ
मुझे नदी से बहुत प्यार है।
कठिन शब्दों के अर्थ – चढ़ी नदी = वह नदी जिसमें किनारों तक लबालब पानी भरा हो। टटोलकर = ढूंढ कर या खोजकर। दिल टटोलना = अंदर की बात को जानना, क्षमता का अनुमान लगाना। गरबीली = गर्व से युक्त, गर्व करने वाली।
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘वसंत’ भाग 1 में संकलित ‘वह चिड़िया जो’ नामक कविता से लिया गया है। इस कविता के रचयिता श्री केदारनाथ अग्रवाल हैं। इन पंक्तियों में छोटी गवली चिड़िया द्वारा नदी का जल पीने का वर्णन किया गया है।
सरलार्थ – कवि कहता है कि नीले पंखों वाली चिड़िया अपनी चोंच से किनारों तक पानी से लबालब भरी हुई नदी से पानी लाती है। उस अथाह जल राशि वाली नदी की क्षमता (गहराई) का अनुमान लगाकर चिड़िया अपनी चोंच में जल रूपी मोती लेकर आती है तथा उससे अपनी प्यास बुझाती है। इसी कारण छोटी होते हुए भी वह गर्व करने वाली चिड़िया है। उस चिड़िया के नीले पंख अत्यंत सुंदर हैं। उसे नदी से बहुत प्यार है अर्थात वह बहती नदी का पानी स्वतंत्रतापूर्वक पोना चाहती है।
भावार्थ – भाव यह है कि नीले पंखों वाली छोटी चिड़िया अपनी चोंच से नदी का जल लेकर आती है तथा उस जल से अपनी प्यास बुझाती है।