जो देखकर भी नहीं देखते सार & प्रश्न-उत्तर PDF | Class 6th Chapter 11th Hindi

Jo Dekhkar Bhi Nahi Dekhte

जो देखकर भी नहीं देखते पाठ का सार 

जो देखकर भी नहीं देखते निबंध की लेखिका ‘हेलेन केलर‘ हैं। वह दृष्टिहीन हैं। लेखिका की सहेली जंगल की सैर करके आई थी। लेखिका ने उससे पूछा- “आपने क्या-क्या देखा?” सहेली ने जवाब दिया, “कुछ खास तो नहीं।” लेखिका को ऐसे जवाब अकसर सुनने को मिलते हैं। वह सोचती है कि जिनकी आँखें होती हैं, ये कम देखते हैं जबकि उनकी आँखें (लेखिका) न होने के बाद भी वे सैकड़ों चीजें देख सकती हैं। वे उन्हें छूकर पहचान लेती हैं। फूलों एवं पंखुड़ियों को छूने में उन्हें अधिक आनंद मिलता है। पेड़ों की शाखाओं को छूते ही वे पक्षियों के गीत सुनती हैं। झरने के बहते हुए पानी का स्पर्श करके वे आनंदित होती हैं। कोमल घास का मैदान उन्हें मखमली कालीन से प्रिय लगता है। प्रकृति की इन सुंदर चीजों को छूने मात्र से इतना आनंद मिलता है, तो उन्हें देखने से तो मन मुग्ध हो जाता है। वे मनुष्य, जिनके पास आँखें हैं, वे दुनिया के रंगों की संवेदना को महसूस नहीं करते। अपने पास जो है, उसकी कद्र नहीं करते। जबकि आँख रूपी ईश्वरीय उपहार से लोग अपने जीवन को इंद्रधनुषी रंगों से रंगीन बना सकते हैं।

अभ्यास के सभी प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.’जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं’- हेलेन केलर को ऐसा क्यों लगता था ?

उत्तर- हेलेन केलर को ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि जब प्रकृति की वस्तुओं को छूने से इतना आनंद मिलता है, तो देखकर तो मन मुग्ध हो जाना चाहिए, परंतु दुनिया के सुंदर रंग लोगों की संवेदना को नहीं छू पाते।

प्रश्न 2. ‘प्रकृति का जादू’ किसे कहा गया है ?

उत्तर-ऋतुओं का परिवर्तन, बसंत ऋतु में रंग-बिरंगे फूलों का खिलना, कलियों की पंखुड़ियों की मखमली सतह, बागों में वृक्षों पर चहचहाते पक्षी, कलरव करते बहते हुए झरने, कालीन के समान फैले हुए घास के मैदान आदि प्रकृति के जादू हैं।

प्रश्न 3. ‘कुछ खास तो नहीं’ हेलेन की मित्र ने यह जवाब किस मौके पर दिया और यह सुनकर हेलेन को आश्चर्य क्यों नहीं हुआ ?

उत्तर- ‘कुछ ख़ास तो नहीं यह जवाब उसकी मित्र ने तब दिया जब वह जंगल की सैर करके वापस आई थी। हेलेन को यह जवाब सुनकर आश्चर्य इसलिए नहीं हुआ क्योंकि हेलेन का मानना था कि जिन लोगों की आँखें होती हैं वे बहुत कम देखते हैं। आँखें होने के बाद भी इन प्राकृतिक दृश्यों को देखकर उसका मन मुग्ध नहीं होता।

प्रश्न 4. हेलेन केलर प्रकृति की किन चीज़ों को छूकर और सुनकर पहचान लेती थी? पाठ के आधार पर इसका उत्तर लिखो ।

उत्तर- हेलेन केलर भोज-पत्र की चिकनी छाल, चीड़ की खुरदरी छाल, कलियों व फूलों की पंखुड़ियों की बनावट को छूकर तथा पक्षियों के गीतों को सुनकर पहचान लेती थी।

प्रश्न 5. ‘जबकि इस नियामत से जिंदगी को खुशियों के इंद्रधनुषी रंगों से हरा-भरा किया जा सकता है’- तुम्हारी नज़र में इसका क्या अर्थ हो सकता है?

उत्तर- जबकि इस नियामत से जिंदगी को खुशियों के इंद्रधनुषी रंगों से हरा-भरा किया जा सकता है, का अर्थ है कि प्रकृति की अनेक रमणीय वस्तुओं को देखकर आनंद उठाया जा सकता है और अपने सारे दुःखों को भुलाया जा सकता है।

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निबंध से आगे

प्रश्न 1. आज तुमने अपने घर से आते हुए बारीकी से क्या-क्या देखा-सुना? मित्रों के साथ सामूहिक चर्चा करो ।

उत्तर- प्रिय मित्र, करन नमस्ते। आज अपने घर से आते हुए मैंने अनेक चीजें देखीं, जिनका वर्णन में इस पत्र में कर रहा हूँ। घर से निकलने पर सबसे पहले खिले हुए फूल और चटकती कलियों को देखकर मन प्रसन्न हो उठा। थोड़ा-सा आगे जाने पर पेड़ पर बैठे पक्षियों का चहचहाना सुना। वे इतने खुश दिख रहे थे, मानों उन्हें जीवन का कोई खजाना मिल गया हो। बाग में खिले हुए फूलों के आस-पास भँवरे मंडरा रहे थे। उनकी गुंजन वातावरण को मधुर बना रही थी। कुछ पौधों की लताएँ एक साथ ऐसे मनमोहक लग रही थीं, मानों वे मिल-जुलकर रहने का संदेश दे रही हों। पार्क में हरी घास की दूर तक फैली हुई चादर देखकर मन प्रसन्नता से भर उठा। मैंने मन-ही-मन ईश्वर को धन्यवाद किया कि उन्होंने इतने सुंदर उपहारों को मुझे देखने की क्षमता प्रदान की। आशा है तुम भी इनकी सुंदरता महसूस करोगे। शेष अगले पत्र में। तुम्हारा मित्र, धीरज

प्रश्न 2. कान से न सुन पाने पर आस-पास की दुनिया कैसी लगती होगी? इस पर टिप्पणी लिखो और कक्षा में पढ़कर सुनाओ।

उत्तर- कान से न सुनने पर आस-पास की दुनिया अजीब तरह की लगेगी। प्रकृति की आनंददायी आवाज को न सुन पाने के कारण मन अशांत रहेगा। मन तुरंत कहेगा कि किसी भी तरह से इन ध्वनियों का आनंद लिया जाए। मनुष्य एवं प्रकृति के क्रिया-कलापों को कान से न सुनने पर हम मूक फिल्मों की तरह देखते हैं।

प्रश्न 3. तुम्हें किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने का मौका मिले जिसे दिखाई न देता हो तो तुम उससे सुनकर, सूंघकर, चखकर, छूकर अनुभव की जानेवाली चीज़ों के संसार के विषय में क्या-क्या प्रश्न कर सकते हो? लिखो।

उत्तर- यदि मुझे अपनी नेत्रहीन चचेरी बहन रेनुका से बातचीत करने का मौका मिले तो मैं निम्नलिखित प्रश्न पूछूंगा-

छात्र- रेनुका दीदी! यह पास्ता कैसा बना है?

रेनुका – इसमें नमक थोड़ा तीखा है।

छात्र – दीदी! आप यह बताइए कि आप वृक्षों को कैसे पहचानती हैं?

रेनुका – मैं वृक्ष की छाल को स्पर्श करके तथा कभी-कभी सूँघकर यह पहचानती हूँ कि यह किसका

छात्र – आप किसी वृक्ष का नाम बताइए, जिसे आप छूकर पहचान लेती हैं।

रेनुका – भोज पत्र जिसकी छाल चिकनी होती है और चीड़ जिसकी छाल खुरदरी होती है।

छात्र- आप वृक्ष की टहनी पर हाथ रखती हैं तो कैसा लगता है?

रेनुका – वृक्ष की टहनी पर हाथ रखते ही किसी चिड़िया के मधुर स्वर कानों में गूँजने लगते हैं।

छात्र- झरने का पानी छूने पर आपको कैसा लगता है?

रेनुका – बहते हुए झरने का पानी छूने पर मुझे बहुत आनंद मिलता है।

छात्र- दीदी आपकी प्रकृति की सुंदरता का अनुभव होता है?

रेनुका – हाँ

मैं इन प्रश्नों को इसलिए पूछना चाहूँगा क्योंकि में जान सकूँ कि नेत्रहीन रेनुका दीदी अपने आसपास की दुनिया को अपनी इंद्रियों की मदद से किस प्रकार महसूस करती हैं।

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