पार नज़र के पाठ सार & प्रश्न-उत्तर PDF | Class 6th Chapter 6th Hindi

पार नज़र के पाठ का सार

प्रस्तुत पाठ जयंत विष्णु नार्लीकर के द्वारा लिखा गया है। इस पाठ में विशेष रूप से मंगल ग्रह की धरती पर उतरे हुए अंतरिक्ष यान के विषय में वर्णन किया गया है। इसमें बताया गया है कि छोटू के पापा एक सुरंगनुमा गस्त से अपने काम पर आया-जाया करते थे। छोटू भी उस रास्ते से जाना चाहता था, परंतु वह रास्ता आम आदमी के लिए बंद रहता था। छोटू के पापा उन चुने हुए लोगों में से एक जो अपने पास की मदद से इस सुरंग से होकर जा सकते थे।

संयोगवश एक दिन यह पास छोटू के हाथ लग गया। पास को लेकर छोटू अपने पापा की नजर से बचकर सुरंग की तरफ चला गया। उनकी पूरी कॉलोनी पृथ्वी के अंदर बसी हुई थी। सुरंगनुमा उस रास्ते में दीप जल रहे थे छोटू ने खाँच में कार्ड डाला और दरवाजा खुल गया। छोटू अंदर गया। यहाँ पास उठाते ही दरवाजा बंद हो गया। दरवाजे के बंद होने से छोटू को सफर करने का मौका मिल गया। परंतु छोटू इसमें सफल न हो सका। निरीक्षण यंत्र ने तुरंत छोटू की तस्वीर खींच ली और खतरे की सूचना दे दी। छोटू इन सब गतिविधियों से अनजान होकर आगे बढ़ता जा रहा था। उसी दौरान सिपाही आ गए और उसे पकड़कर वापस छोड़ गए।

छोटू की इस गलती पर उसके पापा ने उसे समझाते हुए कहा-छोटू में जहाँ काम करता है, वह क्षेत्र ज़मीन से ऊपर है। यहाँ एक विशेष सूट पहनकर जाना होता है। प्रशिक्षण के बाद विशेष किस्म के जूतों को पहनकर ही वहाँ की जमीन पर चल-फिर सकते हैं। उन्होंने आगे बताया कि एक समय मंगल ग्रह के सभी लोग धरती के ऊपर ही रहते थे। वातावरण में परिवर्तन आने के कारण वहाँ जीव मरने लगे। सूरज में परिवर्तन के कारण प्राकृतिक संतुलन बिगड़ा और हमारे पूर्वज  ही बचे रहे। इसके बाद अपने तकनीकी ज्ञान के आधार पर हमने ‘जमीन’ के नीचे घर बनाया।

अगले दिन जब छोटू के पापा काम पर गए तो उन्होंने टी.वी. स्क्रीन पर एक बिंदु देखा। कंप्यूटर के द्वारा पता चला कि यह बिंदु मंगल ग्रह की ओर बढ़ा चला आ रहा है। वास्तव में वह एक अंतरिक्ष यान था जिसमें से एक यांत्रिक हाथ बाहर निकला। इस यांत्रिक हाथ की लंबाई प्रतिपल बढ़ती जा रही थी छोटू के पापा ने यान को देखने की प्रक्रिया जारी रखी। कॉलोनी की प्रबंध समिति की सभा बुलाई गई थी। अपने भाषण के दौरान समिति के अध्यक्ष ने बताया कि दो यान मंगल ग्रह की ओर बढ़ते आ रहे हैं।

इनमें से एक यान तो हमारे गिर्द चक्कर काट रहा है। कॉलोनी की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार नंबर एक ने कहा कि हम इन्हें नष्ट तो कर सकते हैं पर इनसे कोई जानकारी नहीं मिल सकेगी। नंबर दो एक वैज्ञानिक थे। वे बोले ‘हालांकि यंत्रों को बेकार कर देने में भी खतरा है। इनके बेकार होते ही दूसरे ग्रह के लोग हमारे बारे में जान जाएंगे। इसलिए मेरी राय में हमें सिर्फ अवलोकन करते रहना चाहिए, कॉलोनी की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार नंबर तीन सामाजिक व्यवस्था का काम देखते थे। इतनी देर में अंतरिक्ष यान क्रमांक एक जमीन पर उत्तर चुका था।

छोटू के पापा उसे अपने कंट्रोलरूम में ले गए। वहाँ से यान क्रमांक एक साफ दिखाई दे रहा था। पापा ने उसे एक कॉन्सोल दिखाया, जिस पर लाल रंग का बदन था यान से निकला यांत्रिक हाथ जमीन से मिट्टी उकेरना चाहता था, तभी छोटू ने बटन दबा दिया। यात्रिक हाथ की हरकत रुक गई। नासा के तकनीशियनों ने इस हाथ को ठीक कर दिया। यांत्रिक साय ने मिट्टी के नमूने इकट्ठे करने शुरू कर दिए। पृथ्वी के वैज्ञानिक मंगल की इस मिट्टी के अध्ययन के लिए बड़े उत्सुक थे वे जानना चाहते थे कि क्या पृथ्वी की तरह ही मंगल पर भी जीवन की अनुकूल दशाएँ हैं, जो आज भी एक रहस्य है।

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प्रश्न 1. छोटू का परिवार कहाँ रहता था?

उत्तर- छोटू का परिवार मंगल ग्रह पर जमीन के नीचे बनी एक कॉलोनी में रहता था। वे यंत्रों की सहायता से अपना जीवन गुजारते थे।

प्रश्न 2. छोटू को सुरंग में जाने की इजाज़त क्यों नहीं थी? पाठ के आधार पर लिखो।

उत्तर – छोटू को सुरंग में जाने की इजाज़त इसलिए नहीं थी, क्योंकि सुरंग के रास्ते में सिक्योरिटी पास वाले लोग ही जा सकते थे। यहाँ अनेक यंत्र लगे हुए थे जो अति संवेदनशील थे। वहाँ जाने वाले लोगों को एक विशेष प्रशिक्षण दिया जाता था और छोटू को इन यंत्रों का कोई ज्ञान नहीं था और न ही उसे किसी प्रकार का प्रशिक्षण प्राप्त था इसलिए उसे सुरंग में जाने की इजाजत नहीं थी।

प्रश्न 3. कंट्रोल रूम में जाकर छोटू ने क्या देखा और वहाँ उसने क्या हरकत की ?

उत्तर- कंट्रोल रूम में छोटू ने यान क्रमांक एक को कंप्यूटर पर देखा। यहाँ उसने कॉन्सोल पर लगा लाल बटन भी देखा उसका मन उस लाल बटन को दबाने के लिए उत्सुक था जब वहाँ पर काम करने वाले सभी लोगों का ध्यान अंतरिक्ष यान की ओर था तो छोटू ने उस लाल बटन को दबा दिया। इस पर उसके पापा ने उसे थप्पड़ मारा। परंतु इससे यान के यांत्रिक हाथ की हरकत बंद हो गई।

प्रश्न 4. इस कहानी के अनुसार मंगल ग्रह पर कभी आम जन-जीवन था वह सब नष्ट कैसे हो गया ? इसे लिखो।

उत्तर- हाँ, इस कहानी के अनुसार मंगल ग्रह पर भी कभी पृथ्वी के समान जन-जीवन था। वहाँ पर धीरे-धीरे परिवर्तन आता गया और सब कुछ नष्ट हो गया। यह सब परिवर्तन सूरज के कारण हुआ। सूरज में परिवर्तन होते ही प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया।

प्रश्न 5. कहानी में अंतरिक्ष यान को किसने भेजा था और क्यों ?

उत्तर – अंतरिक्ष यान को नासा (नेशनल एअरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) ने भेजा था। नासा के वैज्ञानिक यहाँ की मिट्टी का अध्ययन करना चाहते थे। इसके साथ वे यह भी पता लगाना चाहते थे कि क्या मंगल ग्रह पर भी पृथ्वी जैसी जीवन सृष्टि है या नहीं।

प्रश्न 6. नंबर एक, नंबर दो और नंबर तीन अजनबी से निबटने के कौन से तरीके सुझाते हैं और क्यों ?

उत्तर – नंबर एक के अनुसार – यदि यान पृथ्वी पर उतरते हैं तो उन्हें खाक कर देने की क्षमता हममें है। नंबर दो के अनुसार यान के यंत्रों को बेकार कर देने में खतरा भी है। इनके बेकार होते ही दूसरे ग्रह के लोग हमारे बारे में जान जाएंगे।

नंबर तीन के अनुसार – हमें अपना अस्तित्व छिपाए रखना चाहिए। हमें अपना प्रबंध छिपाकर रखना चाहिए। ताकि वे यह न जान सकें कि हमारे पास कोई महत्त्वपूर्ण चीज है।

कहानी से आगे

प्रश्न 1. (क) दिलीप एम. साल्वी

(ख) जयंत विष्णु नार्लीकर

(ग) आइज़क ऐसीमोव

(घ) आवर क्लार्क

ऊपर दिए गए लेखकों की अंतरिक्ष संबंधी कहानियाँ इकट्ठी करके पढ़ो और एक-दूसरे को सुनाओ न कहानियों में कल्पना क्या है और सच क्या है, इसे समझने की कोशिश करो कुछ ऐसी कहानियाँ छाँटकर निकाली जो आगे चलकर सच साबित हुई हैं।

उत्तर- छात्र अपने विज्ञान के अध्यापक की सहायता से तथा पुस्तकालय से इन लेखकों की पुस्तकों से प्रश्न में दी गई कहानियों को पढ़ें।

प्रश्न 2. इस पाठ में अंतरिक्ष यान अजनबी बनकर आता है। ‘अजनबी’ शब्द पर सोचो इंसान भी कई बार अजनवी माना जाता है और कोई जगह या शहर भी क्या तुम्हारी मुलाकात ऐसे किसी अजनबी से हुई है? नए स्कूल का पहला 1 अनुभव कैसा था? क्या उसे भी अजनबी कहोगे? अगर हो तो ‘अजनबीपन’ दूर कैसे हुआ। इस पर सोचकर कुछ लिखो।

उत्तर – पिछले महीने मेरी मुलाकात एक ऐसे व्यक्ति से हुई जिसे न तो मैं जानता था और न ही वह मुझे। फिर बातचीत करके हमने एक दूसरे के विषय में जाना समझा। इसके बाद हम लोगों का अजनबीपन दूर हो गया।

मेरे नए स्कूल का पहला अनुभव काफी अच्छा था में किसी भी छात्र अथवा अध्यापक से परिचित नहीं था। इस अजनबीपन को मैंने अपनी ही उम्र के एक लड़के से बातचीत करके दूर किया। मुझे बाद में पता चला कि वह अजनबी लड़का भी मेरी ही कक्षा का विद्यार्थी था। फिर हम दोनों मित्र बन गए। उसने कक्षा के अन्य छात्रों से भी मेरा परिचय करवा दिया। इस प्रकार मेरा अजनबीपन दूर हो गया।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1. यह कहानी ज़मीन के अंदर की जिंदगी का पता देती है। ज़मीन के ऊपर मंगल ग्रह पर सब कुछ कैसा होगा, इसकी कल्पना करो और लिखो।

उत्तर- मंगल ग्रह पर पृथ्वी के समान जीवन सृष्टि है, यह तो निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है परंतु यदि वहाँ जीवन सृष्टि है तो वहाँ के लोग भी अपने दैनिक कार्य करते होंगे। वे भी अपने ग्रह को उतना ही चाहते होंगे जितना हम चाहते हैं। उस ग्रह पर कोई अतिक्रमण न कर सकें, इसकी सुरक्षा के लिए वे पूरा प्रयास करते होंगे। अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिए वे नित्य नई खोजों में लगे होंगे। वहां के लोगों में भी प्रेम और सद्भाव होगा।

प्रश्न 2. मान लो कि तुम छोटू हो और यह कहानी किसी को सुना रहे हो तो कैसे सुनाओगे। सोचो और ‘मैं’ शैली में यह कहानी सुनाओ।

उत्तर- मेरा घर जमीन के नीचे बनी कॉलोनी में है में जमीन के ऊपर देखना चाहता था। एक बार मैंने अपने पापा का सिक्योरिटी पास चुपके से उठाया और सुरंग वाले रास्ते से चला गया। क्योंकि पापा प्रतिदिन उसी रास्ते से काम पर जाया करते थे। मैंने पापा का कार्ड सुरंग के दरवाजे पर बने खाँचे में डाला जिससे दरवाजा खुल गया में अंदर गया। जैसे ही मैंने पास उठाया, दरवाजा बंद हो गया। निरीक्षक यंत्र में कुछ संदेहास्पद हरकत हुई और दूसरे यंत्र ने मेरी तस्वीर खींच ली। उसी दौरान पुलिस आई और मुझे पकड़कर वापस छोड़ गई। उस दिन पापा ने मुझे बचा लिया। मंगल ग्रह के विषय में पापा ने मुझे बताया कि पहले मंगल ग्रह पर भी जमीन जैसा जीवन था, परंतु सूर्य में आए परिवर्तन के कारण प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया। मनुष्यों को छोड़कर शेष सभी जीव नष्ट हो गए।

मनुष्य ने अपनी तकनीकी के कारण पृथ्वी के नीचे घर बना लिया। इसी का नियंत्रण हम लोग अपने तरीके से करते हैं। अगले दिन मेरे पापा ने कंप्यूटर पर एक बिंदु देखा। पास आने पर पता चला कि वह तो यान था कुछ समय बाद यान जमीन पर उतरा, जिसमें एक यांत्रिक हाथ बाहर निकला। यह दिन मेरे लिए खास था। क्योंकि इस दिन मैं पापा के साथ था। सभी इस दृश्य को कंप्यूटर पर देख रहे थे। मेरा ध्यान कॉन्सोल पैनल पर था। मैंने लाल रंग का एक बटन दबा दिया। अचानक यान के यांत्रिक हाथ ने काम करना बंद कर दिया। मेरे पापा ने बटन दबाने पर मुझे थप्पड़ मारा और उस बटन को पहले जैसा ही कर दिया। पृथ्वी से भेजे इस यान के वैज्ञानिकों ने रिमोट से उसका हाथ बंद कर दिया। अब वह जमीन की मिट्टी उकेर रहा था। इस मिट्टी से पृथ्वी के लोग अध्ययन करके यह जानना चाहते थे कि मंगल ग्रह पर जीवन सृष्टि है या नहीं।

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