में सबसे छोटी होऊ कविता प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1. कविता में सबसे छोटे होने की कल्पना क्यों की गई है ?
उत्तर – कवि सबसे छोटे होने की कल्पना इसलिए करता है ताकि उसे हमेशा माँ का साथ तथा प्यार मिलता रहे।
प्रश्न 2. कविता में ‘ऐसी बड़ी न होऊं में क्यों कहा गया है? क्या तुम भी हमेशा छोटे बने रहना पसंद करोगे ?
उत्तर- ऐसी बड़ी न होऊं में ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि बड़ा होते ही माँ खिला-पिलाकर खिलौने देकर बहला देती है और परियों की कहानी नहीं सुनाती है। हाँ, में भी हमेशा छोटा रहना चाहूँगी।
प्रश्न 3. आशय स्पष्ट करो-
हाथ पकड़ फिर सदा हमारे
साथ नहीं फिरती दिन-रात !
उत्तर- बच्ची अपनी माँ से कहती है कि हे माँ, बड़ा होते ही तू मुझे नहला-धुलाकर खिलौने देकर अपने आप खेलने के लिए छोड़ देती है। तू न तो मेरे साथ रहती है और न ही मेरे साथ घूमती-फिरती है।
प्रश्न 4. अपने छुटपन में बच्चे अपनी मां के बहुत करीब होते हैं। इस कविता में नज़दीकी की कौन-कौन सी तस्थितियाँ बताई गई हैं ?
उत्तर- इस कविता में छुटपन में माँ की गोदी में सोने, आँचल पकड़-पकड़कर घूमने, खिलौने से खेलने, परियों की कहानी सुनने आदि की स्थितियों को बताया गया है।
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कविता से आगे
प्रश्न 1. तुम्हारी माँ तुम लोगों के लिए क्या-क्या काम करती है?
उत्तर- मेरी माँ मुझे सुबह उठाती है। फिर नहला-धुलाकर स्कूल जाने के लिए तैयार करती है। नाश्ता कराकर स्कूल भेजती है। स्कूल से आने पर खाना आदि खिलाती है। मेरी माँ मेरा हर प्रकार से ख्याल रखती है।
प्रश्न 2. यह क्यों कहा गया है कि बड़ा बनाकर माँ बच्चे को छलती है?
उत्तर- ‘बड़ा बनाकर माँ बच्चे को छलती है ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि माँ दिन-रात अब साथ नहीं रहती। न तो माँ अपने हाथों से खाना खिलाती है, न ही परियों की कहानी सुनाती है और न ही नहलाती घुलाती है।
प्रश्न 3. उन क्रियाओं को गिनाओ जो इस कविता में माँ अपनी छोटी बच्ची या बच्चे के लिए करती है।
उत्तर- माँ अपनी छोटी बच्ची या बच्चे को गोदी में सुलाती है। वह दिन-रात बच्चे का ख्याल रखती है। उसे नहलाती धुलाती है। उसे कपड़े आदि पहनाकर सुंदर बनाती है। सोते समय सुखद परियों की कहानी सुनाती है।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. इस कविता के अंत में कवि माँ से चंद्रोदय दिखा देने की बात क्यों कर रहा है? चाँद के उदित होने की कल्पना करो और अपनी कक्षा में बताओ।
उत्तर – कवि माँ से चंद्रोदय दिखाने की बात इसलिए कह रहा है क्योंकि चंद्रोदय का दृश्य बहुत ही मनोरम होता है। बच्चे चाँद को प्यार से चंदा मामा कहते हैं। मामा का माँ से संबंध भी होता है। इसी बहाने बच्चे माँ का स्नेह व स्पर्श भी चाहते हैं।
प्रश्न 2. इस कविता को पढ़ने के बाद एक बच्ची और उसकी माँ का चित्र तुम्हारे मन में उभरता है। वह बच्ची और क्या-क्या कहती होगी ? क्या-क्या करती होगी? कल्पना करके एक कहानी बनाओ।
उत्तर- मेरे पड़ोस में सेठी साहब रहते हैं। उनकी एकमात्र पुत्री स्नेहा है। वह अपने माता-पिता की लाडली बेटी है। वह हर समय माँ का आँचल पकड़-पकड़कर चलती है। माँ उसे अपनी गोदी में ही सुलाती है। वह माँ के हाथों से ही खाना खाती है। सोते समय माँ से परियों की कहानी सुनकर ही सोती है। वह माँ से तोतली बोली में बातें करती है।
प्रश्न 3. माँ अपना एक दिन कैसे गुज़ारती है? कुछ मौकों पर उसकी दिनचर्या बदल जाया करती है जैसे- मेहमानों के आ जाने पर, घर में किसी के बीमार पड़ जाने पर या त्योहार के दिन इन अवसरों पर माँ की दिनचर्या पर क्या फर्क पड़ता है? सोचो और लिखो।
उत्तर- माँ अपना दिन घर के कामकाज तथा बच्चों की देखभाल में गुज़ारती है। परंतु कुछ मौकों पर उसकी दिनचर्या बदल जाया करती है। जैसे – मेहमानों के आ जाने पर मेहमानों के आ जाने पर माँ का अधिक समय मेहमानों की देखभाल में व्यतीत होता है। अतः वह घर का कार्य जल्दी-जल्दी करके बच्चे को नहला-धुलाकर तैयार करती है। उसे घुमाने – फिराने के समय में भी कमी कर देती है। अतः उसे इस अवसर पर अपनी दिनचर्या में परिवर्तन करना पड़ता है। घर में किसी के बीमार पड़ जाने पर-घर में किसी के बीमार पड़ जाने पर माँ को अधिक समय बीमार व्यक्ति की सेवामें देना पड़ता है। इसलिए वह अपने घर के अन्य कार्यों सफाई, खाना पकाना तथा बच्चे की देखभाल आदि कार्यों की तरफ कम ध्यान देती है। इन कार्यों को उसे जल्दी-जल्दी निपटाना पड़ता है। अतः उसे इस अवसर पर अपनी दिनचर्या में परिवर्तन करना पड़ता है। त्योहार के दिन-त्योहार के दिन माँ सारे घर की अच्छी प्रकार से सफाई करती है। घर में आने वाले लोगों के लिए विभिन्न प्रकार की खाने-पीने की वस्तुएँ बनाती है। इन कार्यों के साथ बच्चों की देखभाल के लिए भी उसे समय निकालना पड़ता है। अतः इस अवसर पर उसे अपनी दिनचर्या में परिवर्तन करना पड़ता है।