नौकर निबंध का सार
नौकर निबंध अनु बंद्योपाध्याय द्वारा लिखा गया है। इसमें गांधी जी के जीवन के विषय में बताया गया है। गांधी जी किसी काम को छोटा नहीं समझते थे। जब वे वकालत से हजारों रुपए कमाते थे, तब भी हाथ की चक्की से रोटी के लिए आटा पीस लेते थे। बाहरी लोगों के सामने भी वे शारीरिक परिश्रम का कार्य करते हुए शर्म महसूस नहीं करते थे। कुछ समय तक वे आश्रम के भंडार में काम संभालते थे। प्रातःकाल की प्रार्थना के बाद वे सब्जियाँ छीलते थे। बर्तन साफ करते थे। वे भोजन की पौष्टिकता का विशेष ध्यान रखते थे। आश्रमवासियों को वे अकसर अपने हाथ से भोजन परोसते थे। दक्षिण अफ्रीका की जेल में वे कैदियों को भोजन परोसने का कार्य भी कर चुके थे। गांधी जी खुद बर्तनों को मजकर चमका देते थे।
जब आश्रम का निर्माण कार्य चल रहा था उस समय आने वाले लोगों को तंबुओं में सोना पड़ता था। एक नवागत को बिस्तर रखने के स्थान का पता नहीं था। जब वह पता करके लौटा उससे पहले ही गांधी जी ने उसका बिस्तर उठा दिया था। आश्रम के लिए वे पानी खींचने का कार्य स्वयं करते थे। इस प्रकार का कार्य करने की उनमें अद्भुत क्षमता थी। ये वकान का नाम भी नहीं जानते थे बोअर युद्ध के दौरान उन्होंने घायलों को स्ट्रेचर पर लादकर पच्चीस-पच्चीस मील तक ढोया था। एक बार तालाब की भराई करने वाले साथियों के लिए उन्होंने अपने आप नाश्ता तैयार किया था।
भारतीयों का नेतृत्व करने के लिए वे एक बार लंदन गए भारतीय छात्रों ने उन्हें भोज के लिए निमंत्रित किया और स्वयं भोजन बनाने लगे। उन्हीं में एक युवक आकर शामिल हो गया और उनकी मदद करने लगा। बाद में पता चला कि यही उनके सम्मानित अतिथि गाँधी जी थे। गाँधी जी अपना काम स्वयं करते थे। वे कमरे में बुहारी भी स्वयं करते थे। अठहत्तर साल की आयु में उन्होंने खाखरा बनाने की विधि रसोइए को बताई। गांधी जी बच्चों से भी बहुत प्यार करते थे। वे बच्चों के लिए दाई नहीं रखते थे। उनकी दृष्टि में बच्चों के विकास के लिए माँ-बाप का प्यार और देखभाल अनिवार्य है। गांधी जी अपने बड़ों का बहुत आदर करते थे। दक्षिण अफ्रीका में वे गोखले के लिए भोजन परोसते थे और पैर दबाने के लिए भी तैयार रहते थे। दक्षिण अफ्रीका से आने के बाद उन्होंने काँग्रेस अधिवेशन में पाखाने (लेट्रिन) साफ किए और एक बड़े नेता का व्यक्तिगत कार्य भी किया।
काम करने वाले नौकर को कभी भी गाँधी जी ने नौकर नहीं समझा। वे उन्हें अपना भाई समझते थे। गाँधी जी एक बार किसी भारतीय सज्जन के घर काफी दिनों तक ठहरने के बाद जब चलने लगे तो उनके घर के नौकरों से उन्होंने विदा ली और कहा मैं, कभी भी किसी को अपना नौकर नहीं समझता। उसे अपना भाई या बहन ही माना है और आप लोगों को भी अपना भाई समझता हूँ। आप लोगों ने मेरी जो सेवा की है, इसका फल परमात्मा अवश्य देगा।
अभ्यास के सभी प्रश्नों के उत्तर
प्रश्न 1. आश्रम में कॉलेज के छात्रों से गाँधी जी ने कौन-सा काम करवाया और क्यों ?
उत्तर- आश्रम में कॉलेज के छात्रों से गांधी जी ने उनके मन की बात ताड़कर उनसे गेहूं बीनने का कार्य करवाया, क्योंकि छात्रों को अपने अंग्रेजी ज्ञान पर बड़ा गर्व था। उन्हें आशा थी कि गांधी जी उन्हें कुछ लिखने-पढ़ने का काम देंगे।
प्रश्न 2. ‘आश्रम में गांधी कई ऐसे काम भी करते थे, जिन्हें आमतौर पर नौकर-चाकर करते हैं।’ पाठ से तीन ऐसे प्रसंगों को अपने शब्दों में लिखो जो इस बात का प्रमाण हो।
उत्तर- (1) एक बार आश्रम के कार्यकर्त्ता ने जब गांधी जी से कहा कि आश्रम में आटा थोड़ा है तो वे आटा पीसने के लिए फौरन उठ खड़े हुए।
(2) आश्रम में कुछ लोग रसोई के बर्तन बारी-बारी से दत्त बाँधकर धोते थे। एक दिन गांधी जी ने बड़े-बड़े पतीलों को साफ करने का काम अपने ऊपर ले लिया।
(3) एक बार गाँधी जी के कुछ साथी तालाब की भराई का काम कर रहे थे। एक सुबह जब वे काम समाप्त करके कुदाल, फावड़ा और टोकरियों के साथ वापस लौटे, तो देखा गांधी जी ने उनके लिए नाश्ता तैयार कर रखा है।
प्रश्न 3. लंदन में भोज पर बुलाए जाने पर गाँधी जी ने क्या किया?
उत्तर- लंदन में भोज पर बुलाए जाने पर गांधी जी खाना बनाने वालों में शामिल हो गए। वे तश्तरियाँ धोने, सब्जी साफ करने और अन्य छिटपुट कार्यों में उनकी मदद करने लगे।
प्रश्न 4. गाँधी जी ने श्रीमती पोतक के बच्चे का दूध कैसे छुड़वाया ?
उत्तर-गाँधी जी श्रीमती पोलक के बच्चे को अपने बिस्तर पर लिटा लेते थे। वह चारपाई के पास पानी का एक बर्तन रखते ताकि बच्चे को पिला सकें। इस प्रकार एक पखवाड़े तक माँ से अलग सुलाने के बाद बच्चे ने माँ का दूध छोड़ दिया।
प्रश्न 5. आश्रम में काम करने या करवाने का कोन सा तरीका गांधी जी अपनाते थे? इसे पाठ पढ़कर लिखो।
उत्तर- आश्रम में काम करने या करवाने के लिए गांधी जी स्वयं उस काम को करने लगते। वे उस काम को करके बताते कि यह कार्य कैसे किया जाता है। इससे काम न करने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति भी काम करने के लिए मजबूर हो जाता था।
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निबंध से आगे
प्रश्न 1. गाँधी जी इतना पैदल क्यों चलते थे? पैदल चलने के क्या लाभ है? लिखो ।
उत्तर–गांधी जी इतना पैदल इसलिए चलते थे, क्योंकि हर प्रकार के कार्यों को करने की अद्द्भुत क्षमता और शक्ति उनमें बनी रहे। पैदल चलने से शारीरिक व्यायाम होता है और आदमी स्वस्थ रहता है।
प्रश्न 2. अपने घर के किन्हीं दस कामों की सूची बनाकर लिखो और यह भी कि उन कामों को घर के कौन-कौन से सदस्य अकसर करते हैं? तुम तासिका की सहायता ले सकते हो-
अब यह देखो कि कौन सबसे ज्यादा काम करता है और कौन सबसे कम कामों का बराबर बँटवारा हो सके, इसके 1 लिए तुम क्या कर सकते हो? सोचकर कक्षा में बताओ।
उत्तर-दस कामों की सूची-
(1) घर का सामान लाना – पिता जी।
(2) दूध और सब्जियाँ लाना बड़े भाई
(3) घर की सफाई करना माता जी एवं बहनें।
(4) बिजली पानी एवं टेलीफोन बिल जमा करना -पिता जी या बड़े भाई।
(5) मेरी फीस जमा करना -पिता जी।
(6) बिस्तर रखना मैं स्वयं
(7) खाना बनाना माँ एवं बहनें
(8) चद्दर एवं कपड़े धोना माँ एवं बहनें
(9) बैंक से पैसे लाना- पिता जी
(10) क्यारियों में फूल तथा सब्जियां उगाना – पिता जी, मैं एवं बड़े भाई
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. गाँधी जी अपने साथियों की जरूरत के मुताबिक हर काम कर देते थे, लेकिन उनका खुद का काम कोई और करे, ये उन्हें पसंद नहीं था क्यों? सोचो और अपनी कक्षा में सुनाओ।
उत्तर- गाँधी जी अपने साथियों की जरूरत के मुताबिक हर काम कर देते थे, क्योंकि वे अपने हिस्से का दैनिक अम स्वयं करना चाहते थे, जिससे उनमें हर प्रकार के कार्य करने की क्षमता और शक्ति बनी रहे।
प्रश्न 2. ‘नौकरों को हमें वेतनभोगी मज़दूर नहीं, अपने भाई के समान मानना चाहिए। इसमें कुछ कठिनाई हो सकती है, फिर भी हमारी कोशिश सर्वथा निष्कत नहीं जाएगी। गाँधी जी ऐसा क्यों कहते होंगे? तर्क के साथ लिखो।
उत्तर – नौकरों के विषय में अपने मित्रों को समझाते हुए कहेंगे कि ‘नौकरों को अपने भाई के समान मानने पर वे काम को अपना मानकर ज्यादा अच्छी तरह से करेंगे। वे काम को बोझ न समझकर उसमें रुचि लेंगे।
प्रश्न 3. गांधी जी की कही-लिखी बातें लगभग सौ से अधिक किताबों में दर्ज हैं। घर के काम, बीमारों की सेवा, आगंतुकों से बातचीत आदि देरों काम करने के बाद गांधी जी को लिखने का समय कब मिलता होगा? गांधी जी का एक दिन कैसे गुजरता होगा, इस पर अपनी कल्पना से लिखो।.
उत्तर- गांधी जी ने अपने जीवन में अपने प्रत्येक कार्य के लिए समय निश्चित किया होगा। 24 घंटे के समय का विभाजन करके वे निर्धारित समय में ही उस कार्य को करते होंगे। इस प्रकार ढेर सारे काम करने के बाद भी वे लेखन के समय लेखन कार्य करते होंगे।
प्रश्न 4. पाठ में बताया गया है कि गाँधी जी और उनके साथी आश्रम में रहते थे। घर और स्कूल के छात्रावास से गांधी जी का आश्रम किस तरह अलग था? कुछ वाक्यों में लिखो।
उत्तर- आश्रम शब्द का अर्थ है- कुटिया, झोपड़ी, संन्यासियों का आवास, इस पाठ में ‘आश्रम’ शब्द का प्रयोग गाँधी जी द्वारा स्थापित ‘सत्याग्रह आश्रम के लिए किया गया है। इस आश्रम में गाँधी जी के सिद्धांतों को मानने वाले लोग रहते थे। यहाँ के लोग सत्य, अहिंसा, चोरी न करना, परोपकार की भावना रखना आदि नियमों का पालन करते थे यह आश्रम 1 छात्रावास से बिल्कुल भिन्न था, क्योंकि छात्रावास में तो केवल अध्ययन करने वाले छात्र ही रहते हैं।
प्रश्न 5. ऐसे कामों की सूची बनाओ जिन्हें तुम हर रोज़ खुद कर सकते हो।
उत्तर- काम जो हम कर सकते हैं –
(1) किताब-कापियों को उचित स्थान पर रखना।
(2) बिस्तर लगाना एवं उठाना।
(3) दूध लेकर आना।
(4) सब्जियों तथा फल आदि खरीदना।
(5) अपने कमरे की सफाई।