पत्रकारिता का महत्त्व | Patrakarita Ka Mahatva in Hindi

पत्रकारिता का महत्त्व- पत्रकारिता आज के सभ्य समाज के लिए एक नितान्त आवश्यक कला है। इसी कला के फलस्वरूप पत्रकार विभिन्न समाचारों को संकलित कर और समाचारपत्रों द्वारा संपादित करके उन्हें पाठकों तक पहुँचाते हैं। दिन का प्रत्येक क्षेत्र पत्रकारिता से लाभान्वित होता है। आज प्रत्येक व्यक्ति प्रातःकाल उठते ही समाचारपत्र को सबसे पहले पढ़ना चाहता है। पत्रकारिता के महत्व को निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत विवेचित किया जा सकता है – 

(1) समाज क्षेत्र में पत्रकारिता की उपयोगिता

पत्रकारिता समाज का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। समाज अनेक लोगों से बनता है और वे लोग एक-दूसरे पर आधारित होते हैं। मानव संबंध का निर्माण करने में पत्रकारिता के माध्यम से समाज के विकास में जो असंख्य बाधाएं और कठिनाइयाँ उपस्थित होती हैं। पत्रकारिता उन पर न केवल प्रकाश डालता है बल्कि उनको दूर करने के तरीके भी सुझाता है। पत्रकारिता समाज योग कार्य में योगदान देता है। समाज की रूढ़ियों व अंधपरम्पराओं को दूर करने में पत्रकारिता का बहुत बड़ा योगदान है। जब से हमारे देश में पत्रकारिता ने जन्म लिया है, तब से समाज की सभी प्रकार की गतिविधियाँ और कार्यकलाप समाचारपत्रों के द्वारा पाठकों तक पहुँच रहे हैं। इस संदर्भ में श्री के. वी. नारायण ने उचित ही लिखा है :-

“पत्रकारिता लोकप्रिय अभिव्यक्ति की एक कला है। पत्रकारिता सभी मामलों में चर्चा के लिए जनता के सामने लोककल्याण कायों की सूची रखती है।”

(2) राजनीतिक क्षेत्र में पत्रकारिता का योगदान

आज राजनीति हमारे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बन चुकी है। कारण यह है कि आधुनिक युग में राजनीति हमारे घर-परिवार में भी प्रवेश कर चुकी है। अतः हम न तो राजनीति की उपेक्षा कर सकते हैं न ही राजनीतिज्ञों की, क्योंकि राजनीतिज्ञों को समाचारपत्रों में प्रमुख स्थान दिया जाता है। पत्रकार राजनीतिक समस्याओं को केवल प्रस्तुत ही नहीं करते, बल्कि उनकी व्यवस्था देते हुए उन पर टिप्पणी भी करते हैं। समाचारपत्र, जनमत का निर्माण भी करते हैं। वे सत्ता प्राप्त पार्टी के समाचारों और वक्तव्यों को छापते हैं। वे पार्टी द्वारा लगाए गए आरोपों का विवरण भी प्रस्तुत करते हैं। यही नहीं समाचारपत्र अपनी टीका-टिप्पणी भी देता रहता है। आज के समाज का प्रत्येक व्यक्ति राजनीतिक गतिविधियों से अवगत होना चाहता है, इसलिए वे समाचारपत्र पढ़ते हैं। यदि हम किसी भी समाचार को पढ़ कर देखें तो उसकी अधिकांश सामग्री राजनीति, राजनीतिज्ञों और उनकी गतिविधियों से सम्बन्धित होती है, अतः राजनीतिक दृष्टि से समाचारपत्र का विशेष महत्त्व है।

इस सन्दर्भ में डॉ. नरेश मिश्र ने उचित ही लिखा है

“समाचारपत्रों में प्रकाशित समाचारों का एक बड़ा भाग राजनीति राजनीतिज्ञों और राजनीतिक समस्याओं को समर्पित होता है। कहीं किसी रैली का वर्णन है, तो कहीं राजनीतिक सभा का कहीं पर किसी अंतरराष्ट्रीय नेता का बयान है तो कहीं राष्ट्रीय नेता का कही कोई राजनीतिज्ञ किसी संस्था का उद्घाटन कर रहा है तो कहीं अध्यक्षता, कहीं किसी का चित्र छपा है तो कहीं उसका कार्टून, कहीं ये लोग शिक्षकों को उपदेश दे रहे हैं तो कहीं किसी संस्थान की जयन्ती पर संदेश।”

इस प्रकार पत्रिकाएं राजनीति तथा राजनीतिज्ञों को एक बड़ा भाग प्रदान करती हैं। राजनीति और पलकारिता के निकट सम्बन्धों का पता इसी से चल पाता है।

(3) सांस्कृतिक दृष्टि से पत्रकारिता का महत्त्व

मानव के सामाजिक तथा आध्यात्मिक विकास से ही उनकी संस्कृति का निर्माण होता है। संस्कृति ही मानव जाति का आधार स्तम्भ है। वह हमेशा समाज को विकास की ओर ले जाती है। समाचारपत्र समाज के सांस्कृतिक पक्ष को न केवल उजागर करते हैं, बल्कि उसके प्रति लोगों में लगाव भी उत्पन्न करते हैं। पत्र-पत्रिकाएं ही हमारी सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा करती हैं। नृत्य, नाटक, लोक-साहित्य, लोक मंच, लोककला, लोकगीत आदि संस्कृति के ही विभिन्न बिन्दु हैं। इनके अन्तर्गत तीर्थयात्रा, धार्मिक स्थान, उत्सव, पर्व, त्योहार आदि सभी क्षेत्र सम्मिलित हैं।

समाचारपत्र यदि विभिन्न उत्सवों और त्योहारों का विवरण प्रस्तुत करते हैं तो उसके साथ-साथ लोक संस्कृति से सम्बद्ध धार्मिक स्थानों से भी हमें परिचित कराते हैं। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा जो संस्कृति नामक पत्रिका प्रकाशित की जाती है, उसमें भारतीय संस्कृति का विविधोन्मुखी परिचय दिया जाता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाएँ वर्ष भर में मनाए जाने वाले पर्वो के कलेण्डर भी प्रकाशित करते हैं। सच्चाई तो यह है कि समाचारपत्र नियमित रूप से देश की सांस्कृतिक, गतिविधियों का विवरण पाठकों तक पहुँचाता रहता है।

(4) शिक्षा के क्षेत्र में पत्रकारिता का योगदान

मानव के लिए शिक्षा का महत्त्व आरम्भ से रहा है, क्योंकि शिक्षा के द्वारा ही हम ज्ञान-विज्ञान प्राप्त करते हैं। आधुनिक युग में शिक्षा का विशेष महत्त्व है। जिस समाज में शिक्षा की समुचित व्यवस्था नहीं होती वह समाज पिछड़ जाता है और उसमें गम्भीर समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। समाचारपत्र-पत्रिकाएं एक प्रकार से लोगों को शिक्षित करने का ही कार्य करती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली समस्याओं से वे लोगों को अवगत कराती हैं।

यही नहीं, वे शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न विषयों की जानकारी भी पाठकों को देती हैं। शिक्षा शब्द से जुड़ी हुई असंख्य पत्र-पत्रिकाएं आज भी हमारे देश में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। ये पत्रिकाएं विभिन्न विद्यालयों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित शिक्षा सम्बन्धित जानकारी पाठकों तक पहुँचाती हैं। अतः शिक्षा जगत में समाचारपत्र और पत्रिकाओं का विशेष योगदान है।

(5) राष्ट्रीय दृष्टि से पत्रकारिता का महत्त्व

राष्ट्रीय दृष्टि से पत्रकारिता का विशेष महत्त्व है, क्योंकि पत्रकारिता को लोकतन्त्र का महत्त्वपूर्ण आधार स्तम्भ माना गया है। आज संसार के अधिकांश देशों में लोकतन्त्रीय शासन प्रणाली प्रचलित है। अतः लोकमत को जाग्रत करने तथा लोगों को सचेत बनाए रखने के लिए समाचारपत्र अधिक उपयोगी हैं। भारतेन्दु युग के विभिन्न पत्रकारों और पत्रिकाओं ने ही पाठकों में राष्ट्रीय भावना और स्वदेश गौरव की भावना को उत्पन्न किया। भले ही उस समय के पत्रकारों को ब्रिटिश साम्राज्यवाद के अत्याचारों का सामना करना पड़ा, लेकिन देश के असंख्य पत्रकारों ने उनकी परवाह न करते हुए लोगों में राष्ट्रीय चेतना को जाग्रत करने का प्रयास किया।

महात्मा गाँधी, लोकमान्य तिलक, मदन मोहन मालवीय आदि राष्ट्रीय नेताओं ने पत्रकारिता के द्वारा ही लोगों में राष्ट्रीय भावना को उजागर किया। तत्कालीन अखबार हिन्दू प्रकाश, बुंदेलखण्ड अखबार, हिन्दी दीप्ति प्रकाश आदि पत्र-पत्रिकाओं ने उस समय के भारतवासियों में राष्ट्रीय भावना उत्पन्न करते हुए उनमें नवीन शक्ति का संचार किया। आज के समाचारपत्र राष्ट्रीय एकता उत्पन्न करने के लिए समय-समय पर लेख प्रकाशित करते रहते हैं और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से लोगों और सरकार को अवगत कराते रहते हैं।

(6) खेल-कूद आदि की दृष्टि से पत्रकारिता का योगदान

खेल-कूद से सम्बन्धी जानकारी प्राप्त करने के लिए भी पत्रकारिता विशेष भूमिका निभाती है, क्योंकि समाचारपत्रों द्वारा ही हमें अग्रिम तथा चल दोनों प्रकार के विषयों में खेलों की जानकारी प्राप्त होती है। अग्रिम लेखों के अन्तर्गत खेल में भाग लेने वाले खिलाड़ियों, क्रीड़ा व्यवस्था तथा खेल विशेष की पृष्ठभूमि को लिया जाता है तथा चल लेख के अन्तर्गत खेल का निष्पक्ष और समीक्षात्मक विश्लेषण प्रस्तुत किया जाता है। दूरदर्शन तथा रेडियो भी इस कार्य में सहयोगी भूमिका निभाते हैं। वे समाचार को अत्यन्त आकर्षक और रोचक बनाने के लिए उक्तियों, टिप्पणियों आदि का भी पर्याप्त मात्रा में प्रयोग करते हैं। कई पत्रिकाओं के प्रकाशन के फलस्वरूप भी खेल भावना को अत्यधिक बढ़ावा मिल रहा है। जैसे खेल युग, खेल-खिलाड़ी, क्रिकेट सम्राट आदि कुछ ऐसी ही पत्रिकाएं हैं।

(7) अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में पत्रकारिता का योगदान

वैज्ञानिक विकास के कारण आज हमारा संसार बहुत छोटा हो गया है। समाचारपत्रों के माध्यम से हम घर बैठे संसार की गतिविधियों और समाचारों को तत्काल जान लेते हैं। अमेरिका में यदि कोई घटना घटती है तो वह लाइव दूरदर्शन द्वारा तत्काल सारे संसार में पहुँच जाती है। आज केवल समाचारपत्र और पत्रिकाएं ही अंतरराष्ट्रीय खबरों को प्रकाशित नहीं कर रहे हैं बल्कि आकाशवाणी और दूरदर्शन भी समुचित योगदान दे रहे हैं। विभिन्न देशों में होने वाले व्यापारी समझौते, राजनीतिक सम्मेलन अथवा शीतयुद्ध आदि के समाचार हमें घर बैठे ही प्राप्त हो जाते हैं।

इसी प्रकार से देश का जब कोई महान नेता किसी दूसरे देश में जाता है। उसकी सारी गतिविधियाँ समाचारपत्रों के द्वारा पाठकों तक पहुँच जाती हैं। समाचारपत्रों के कारण ही विभिन्न देशों की सरकारों में विचारों का आदान-प्रदान होता है और कभी-कभी तो विनाशकारी घटनाएं अथवा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले युद्ध भी टल जाते हैं। अतः पत्रकारिता के कारण ही विभिन्न देशों के पारस्परिक सम्बंध सुदृढ़ बनते हैं और विभिन्न समाचारों का समाधान भी ढूँड लिया जाता है। अतः अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पत्रकारिता का महत्त्व स्वतः सिद्ध है।

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